________________ P.P Ad Gunun MS भाकर अनुज से राज्यभार ले कर पुनः शासन करने लगा। विद्याओं द्वारा प्राप्त किये हुए वैभव से हिरण्यनामि / इन्द्र सदृश शोभित था। पुण्य के प्रभाव से उसने चिरकाल तक निष्कंटक राज्य किया। किन्तु एक दिन अकस्मात् राजा हिरण्यनामि को वैराग्य उत्पत्र हो गया। वह यथाशीघ्र राज्य का मार 220 अपने पुत्र को सौंप कर श्री नेमिनाथ स्वामी के समवशरण में गया। उसने जिनेश्वर के चरणों में नमस्कार कर प्रार्थना की-हे भगवन् ! मुझे यह तथ्य अब भलीभाँति समझ में आ गया है कि मैं अनादिकाल से इस संसार में भ्रमण कर रहा हूँ। अतएव आप मुझे कोई उत्कृष्ट व्रत प्रदान कीजिये।' श्री नेमिनाथ स्वामी ने उत्तर दिया- 'हे भव्य ! तुम्हारा यह विचार उत्तम है। जिनेश्वरी दीक्षा बिना अतुल सौभाग्य के प्राप्त नहीं हो सकती। तुझे इस महाव्रत को अवश्य स्वीकार करना चाहिये।' जब हिरण्यनामि दीक्षा लेने के लिए प्रस्तुत हुआ, उस समय विद्याओं ने राजा से प्रार्थना को- 'हे नाथ! आप तो जिनेन्द्रभाषित दीक्षा लेने जा रहे हो, तब हम तो अनाथ हो जायेंगी। ऐसी स्थिति में हम क्या करें?' हिरण्यनाभि ने तत्काल ही श्री नेमिनाथ से पूछा-'हे भगवन् ! आप कृपा कर प्रकट करें कि इन विद्याओं का स्वामी कौन होगा? उस समय जिनेन्द्र ने दिव्यध्वनि की- 'हे वत्स! इन विद्याओं का स्वामी बड़ा ही होनहार है। मैं बतलाता हूँ। सुनो____ हरिवंश शिरोमणि नवम् नारायण श्रीकृष्ण (श्री नेमिनाथ तीर्थङ्कर के ज्येष्ठ भ्राता) हैं। उन्हीं के प्रद्युम्न नाम का एक महाबली पुत्र होगा, वह किसी कारणवश इस गोपुर में आयेगा। उस समय वह पराक्रमी इन विद्याओं का स्वामी होगा।' भगवान के ऐसे वचन सुन कर हिरण्यनाभि ने मुझ से कहा कि जो बलवान एवं सर्वमान्य पुरुष गोपुर में आवे एवं तुझ से युद्ध के लिए प्रस्तुत हो, वही उन विद्याओं का नायक होगा। अतः तुम गोपुर में जा कर रहो। इतना कह कर हिरण्यनामि ने दीक्षा ग्रहण कर ली। उसने अनेक शास्त्रों का अध्ययन कर आत्म-स्वरूप का ध्यान किया। तत्पश्चात् घातिया-अघातिया कर्मों का नाश कर वह परम पद को प्राप्त हुआ। उसकी आज्ञा के अनुसार मैं उसी समय से आपकी बाट देखता हुआ यहाँ निवास कर रहा हूँ। अब आप कृपा कर इन विद्याओं एवं इस निधि को स्वीकार करें।' विद्याओं ने भी अमूल्य रत्नों का मुकुट एवं भाभरण प्रदान कर प्रद्युम्न से विनयपूर्वक कहा-'हे स्वामी! श्री नेमिनाथ स्वामी ने जैसी दिव्य-ध्वनि की थी, तदनुरूप ही आप योग्य हैं / आप पराक्रमी एवं ऐश्वर्यशाली हैं। हम सब आप की अनुचर हैं, हमें आप Jun Gun Aaradhak Trust