________________ दिया। उन्होंने कहा-'हे प्रिये ! जब तक मैं लौट कर न आऊँ, तब तक मौन धारण कर निश्चल बैठे रहना-किसी प्रकार हलन-चलन नहीं हो।' इतना निर्देश देकर श्रीकृष्ण सत्यभामा के महल में गये। वहीं पहुँच कर श्रीकृष्ण ने कहा- 'हे देवो! क्या तू रुक्मिणी से भेंट करना चाहती है ?' उत्तर में सत्यभामा ने कहा- 'हे प्राणनाथ! यदि आप कृपा कर रुक्मिणी से मिला दें, तो मैं बड़ा उपकार मानँगी' श्रीकृष्ण ने कहा- 'हे प्रिये ! तब तू यथाशीघ्र उद्यान में जा, वहीं रुक्मिणी आ जायेगी। मैं उसके महल में जा कर उसे उपवन में भेजता हूँ।' ऐसा कह कर श्रीकृष्ण गुप्त रीति से उसी उद्यान में चले गये। उन्हें सत्यभामा तथा रुक्मिणी के रूप-यौवन सम्बन्धी प्रतिस्पर्धा देखने को उत्कट लालसा थी। वे अशोक वृक्ष के निकट ही एक सघन कुञ्ज में गुप्त रूप से खड़े हो गये। रूप-गर्विता सत्यभामा वस्त्राभूषणों से सुसज्जित हो कर उद्यान में जा पहुँची। प्रवेश करते ही उसने / अशोक वृक्ष के नीचे स्फटिक शिला पर किसी वन-देवी को आसीन देखा ! उसके मन में नाना प्रकार के संकल्प-विकल्प का उदय होने लगा-'यह वन-देवी है या किसी सिद्ध को माया ? यह स्वर्ग की देवाङ्गना है या किनरी ? नागकुमार की पत्नी है अथवा चन्द्रमा की भार्या रोहिणी ? क्या कामदेव की पत्नी रति है ? साक्षात् सरस्वती अथवा लक्ष्मी तो नहीं है ?' अन्त में उसने यह निश्चय किया- 'यह वन-देवी ही है, जो मेरे पुण्योदय से प्रकट हुई है। सुना भी जाता है कि प्रबल पुण्योदय से देव सहायतार्थ प्रकट होते हैं।' सत्यभामा ने सोचा-'यदि श्रीकृष्ण को अपने अधीन करने के लिए मैं भक्ति-भाव से इस वन-देवी की उपासना कर तो मङ्गल ही होगा. क्योंकि देवाराधना से इष्ट वर प्राप्त होते हैं।' वह कुछ काल तक इसी उधेड-बन में पदी रही। तत्पश्चात सरोवर में उसने स्रान किया। उचित ही है, मनोरथ की सिद्धि के लिए सभी तरह के उद्योग किये जाते हैं / स्नान के अनन्तर वह पद्म के पुष्प तोड़ कर सरोवर से निकलो। उसे यह भी भय था कि कहीं रुक्मिणी न आ जाए। फिर भी ढाढ़स बाँध कर वह अशोक वृक्ष के तले आसीन वन-देवी (रुक्मिणी) के निकट जाकर खड़ी हो गयी। उसने बड़ी भाशा से भक्तिपूर्वक पुष्पों से वन-देवी की पूजा की, उसके चरणों पर मस्तक टेका एवं साथ ही प्रार्थना की-हे वन-देवी! तू मेरे पुण्योदय से प्रकट हुई है। तू मुझे उत्तम वरदान दे। कारण, देवी का दर्शन कभी निष्फल नहीं जाता। अतएव मैं केवल यही वरदान चाहती हैं कि Jun Gun Aare W Trust