________________ PP Ad Gunun MS अनुसार द्वारपाल दूत को समा में ले गया। उस सभा के दर्शन से दूत को जो प्रसन्नता हुई, वह अतुलनीय थी। श्रीकृष्ण को प्रणाम कर वह अपने नियत स्थान पर बैठ गया। पर कुछ काल पश्चात् ही उसने कुछ संकेत किया, जिससे श्रीकृष्ण ने उस दिन की समा विसर्जित कर दी। आने का कारण पूछने पर दूत ने बतलाया || 11 कि हे महाराज ! एक ऐसा निवेदन है, जिसे सुन कर आप को प्रसन्नता होगी, आप उत्फुल्ल होंगे। दूत का वचन सुन कर श्रीकृष्ण को बड़ा सन्तोष हुआ। वे यथाशीघ्र अपने अग्रज बलदेव के साथ दूत को लेकर महल में चले गये। वहाँ श्रीकृष्ण ने दूत से सम्वाद सुनाने के लिए कहा। दूत कहने लगा-'हे महाराज ! मेरा सम्वाद प्रेम का कारणभूत होने से माननीय है। उसे सारभूत एवं यथार्थ समझ कर ध्यान से सुनें। कुण्डनपुर एक प्रसिद्ध नगर है / वहाँ का राजा भीष्म गुणग्राही एवं शत्रुओं को परास्त करनेवाला है। उसकी पत्नी श्रीमती जगत्-विख्यात रूपसी है / भीष्म का पुत्र रूप्यकुमार इन्द्रपुत्र जयन्त के समान यशस्वी एवं महादेव-पुत्र षडानन जैसा स्वाभिमानी वीर है। कुमार की छोटी भगिनो मणी चन्द्रमा-सी कान्तिवाली नवयौवना है। जैसे समुद्र से लक्ष्मी, पर्वत से पार्वती एवं ब्रह्मा से सरस्वती पन्न होकर विख्यात हुई हैं, वैसे ही भीष्म-पुत्री रुक्मिणी मी जगत् में विख्यात है। किन्तु रूप्यकुमार ने चेदि-नरेश शिशुपाल के अतिथि-सत्कार से प्रसन्न होकर उसे रुक्मिणी के संग विवाह की स्वीकृति दे दी। यद्यपि यह कार्य स्वजनों एवं परिजनों से बिना परामर्श लिए ही हुआ था, पर कुमार के वचनबद्ध होने से किसी ने बापत्ति नहीं की। कारण नृपति शिशुपाल में यथेष्ट योग्यता है एवं योग्य पुरुष किसे प्रिय नहीं होता? समग्र स्वजन बन्धुणों ने राज-प्रांगण में एकत्रित होकर लग्न की तिथि निश्चित कर दी। माघ शुक्ल अष्टमी की दोष वर्जित तिथि में विवाह कार्य सुसम्पन्न होगा। किन्तु इसके पश्चात् दूसरे ही दिन वहाँ नारद मुनि पधारे। वे दाना भीष्म से मिल कर सीधे निवास में चले गये। प्रारम्भ में ही उनसे भीष्म की भगिनी से भेंट हुई। वह विदुषी एवं योग्य गुणवती महिला है। स्वयं महाराज भीष्म भी उसका सम्मान करते हैं। उस बाल-विधवा ने बारद मुनि को नमस्कार कर उन्हें योग्य बासन पर विराजमान कराया एवं अन्य रानियों से भी उन्हें प्रणाम करवाया / जिस समय नारद कुशलक्षेम पूछ रहे थे, उसी समय रुक्मिणी सामने खड़ी थी। उस देख कर वारद ने उसका परिचय भीष्म की भगिनी से पूछा। उसने उत्तर में कहा कि हे मुनिराज! यह मेरे भ्राता महा Lates K OPE Jun Gun Ann