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१. प्राचीन जैन इतिहास । भारतके आदिम निवासी और अनार्य मानते है उनसे पहिले भारतमें आयन्द था ही नहीं इसी लिये जैन धर्म इस बातके माननेके लिये तैयार नहीं है कि भारतवर्षकी आर्यनातिक इतिहासका प्रारंभ इसी समयसे हुआ है। किंतु यह समय परिवर्तनका था निसमें धर्म मार्गका लोप हो गया था और मनुष्य प्राय अधर्ममार्गकी ओर रजू हो गये थे।
(६) यह बात निर्विवाद सिद्ध है कि इस दुनियाको बनानेवाला कोई नहीं है। जब दुनियांको किसी ने नहीं बनाया तो दुनिया अनादि है और उसके अनादि होनेसे इतिहास भी अनादि है । परन्तु परिवर्तन-मना हुला करता है, यह प्राकृतिक नियम है, औं परिवर्तनले अनुसार दुनियाका इतिहास भी बदलता रहता है। यहॉपर देखना यह है कि भरतक्षेत्रके जिस इतिहामके पाग्नका हम पज्ञा लगा रहे है उसका प्रारंभ इस क्षेत्रके किस परिवऊनसे प्रारंभ हुआ है उपर हम यह वतला चुके हैं कि इतिहामके प्रारंमका समय इतना प्राचीन है कि कि हम गिनती के अक्षरोंसे नहीं गिन बने।
परंतु सने प्राचीन मन्त्री सत्यनाने हन अवश्य ला सजने है। अतएव उम प्राचीन समपो प्रम्बनेके लिये यहांर यह बतला देना उचित है कि अन दि मष्टि शिम तरहसे परिवान हुम करता है और किस प्रकार इतिहासका पारन होता है।
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