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प्रथम भाग
(७) आपको वायु वीस लाख पूर्वकी थी और शरीर दोसो वनुष्य उचा था ।
() आपके साथ खेलनेको स्वर्गसे देव आते थे, और वस्त्राभूषण भी स्वर्गसे आया करते थे।
(९) माप पांच लाख पूर्व तक कुमारावस्थामें रहे । (१०) आपका वर्ण प्रियगुके समान था।
(११) आपने चौदह लाख पूर्व वीस पूर्वाग समय तक राज्य किया।
(१२) एक दिन बादलोंको छिन्नभिन्न होते देख आपके वैराग्य हुआ। लोकांतिक देवोंने आकर आपकी स्तुति की। राज्य होते ही पुत्रको राज्य देकर आपने दीक्षा धारण की । और इन्दादि देवोंने तप कल्याणक उत्सव पहिलेके सीकरोंके समान मनाया।
(१२) आपने ज्येष्ठ सदी बारसको तप धारण किया था। रूप धारण करते ही आपको मन पर्ययज्ञान उत्पन्न हुआ।
(१४) आपके साथ एक हजार राजाओं ने तप धारण किया था । पहिले ही मापने दो दिनका उपवास घाण किया । उपरे पूर्ण होने ही आपने सोमखेट नगरफे राना महेन्द्रदत्तके यहा महार लिया। आपके माहारके लेनेसे देवान रनवी आदि पचायरिये।
(११) नौ वर्ष तक तप करने के पश्चात् फल्गुन वदी छठरे "दिन सिरीपक यक्ष नीचे चार घातिया कमाको नाशकार केवल. गन माप्त किया।
(१६) मगवान्को पेरल ज्ञान होने ही इन्द्रामि देवाने ममवरण सपारची और ज्ञान कल्याणका सय किया।