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प्राचीन जैन इतिहास ।
(७) आप बालब्रह्मचारी थे । कुमार अवस्थाके बाद आपको वैराग्य हुआ और फाल्गुन वदी चतुर्दशी के दिन छहसो छियत्तर राजाओं सहित तप धारण किया। चौथा मन:पर्ययज्ञान आपको उत्पन्न हुआ । और इन्द्रादि देवोंने तप कल्याणक उत्सव मनाया ।
(८) एक दिन उपवासकर दूसरे दिन महापुरके राजा सुंदरनाथके यहां आपने आहार लिया। देवोंने राजाके यहां पंचाश्चर्य किये ।
(९) एक वर्ष तपकर माघ सुदी द्वादशीके दिन केवलज्ञान प्राप्त किया । इन्द्रादि देवने समवशरण सभा बनाकर केवलज्ञान कल्याणक उत्सव मनाया ।
(१०) आपकी सभा में इस भाँति चार प्रकारका संघ था६६ धर्म आदि गणधर १२०० पूर्वज्ञानधारी
५४०० अवधिज्ञान धारी
१९२०० शिक्षक मुनि
६००० केवल ज्ञानी
१०००० विक्रिया रिद्धिके धारी ६००० मन:पर्यय ज्ञानी
४२०० चादी सुनि
१०६००० धरसेना आदि आर्यिकाएँ
२००००० श्रावक
४००००० श्राविकाएँ
(११) समस्त आर्यखंडमें विहार कर आयुमें एक हजार