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१२९ प्राचीन जैन इतिहास। (ज) दुंदुभी बाजे
(ड) केवलज्ञान होते ही भगवान् अनंतचतुष्टययुक्त हो जाते हैं। .
१ अनंत दर्शन, २ अनंत ज्ञान, ३ अनंत सुख, ४ अनंत वीर्य ।
(च) भगवान्के भामंडलमें प्रत्येक मनुष्यके सात भव मूतकालके और सात भविष्यके दीखते हैं।
५ मोक्ष कल्याणक उत्सव
(क) स्वर्गसे इन्द्रादि देवोंका आना और शरीरका चंदनादिके साथ अग्निकुमार जातिके देवोंके मुकुटकी अग्निसे दाह
करना।
(ख) भस्म मस्तकपर लगाना । (ग) स्तुति, पूना आदि करना ।
(२) परिशिष्ट "" (चक्रवर्ती, नारायण, प्रतिनारायण आदिके जीव
___ नकी समान घटनायें) (१) चक्रवर्तीः
(क) प्रत्येक चक्रवर्तीके मल-मूत्र नहीं होता । (ख) चक्रवर्तियोंके छयानवे छयानवे हमार रानियाँ होती हैं। (ग) चक्रवर्ति व्ह खंड पृथ्वीका स्वामी होता है । छह खंड
पृथ्वी-पांच म्लेच्छ खंड और एक आर्य खंड जिसका