________________
-
१०५ प्राचीन जैनइतिहास। . . . ६६०० वादी मुनि.
३८०००० घोषा आदि आर्थिकाएँ २००००० श्रावक ५००००० श्राविकाएँ
(१४) सब दूर विहारकर अंतमें जब कुछ ही दिन आयुके बाकी रह गये तब दिव्य ध्वनि बंद हुई और सम्मेदशिखर पर्वत पर आप रहे । और वहाँसे शेष कर्मोका नाशकर भादों सुदी अष्टमीको मोक्ष पधारे । मापके मोक्ष जानेपर इन्द्रादि देवाने निर्वाण कल्याणकका उत्सव, पूर्वके तीर्थंकरों के समान मनाया।
पाठ इकवीसवाँ। भगवान शीतलनाथ (दशवें तीर्थकर )
(१) भगवान् पुष्पदंतके मोक्ष जानेके नोकरोड सागर वाद दशवें तीर्थकर भगवान् शीतलनाथका , जन्म हुआ। इनके जन्म होनेके एक पूर्वकम पाव (एक चतुर्थाश ) पल्य पहिले धर्ममार्ग बध हो गया था।
(२) आप चैत्र कृष्ण अष्टमीके दिन माताके गर्भ में आये। माताने सोलह स्वप्न देखे ! इन्द्रादि देवोंने गर्भ कल्याणक उत्सद किया । गर्भमें आनेके छहमास पूर्वसे जन्म होने तक पंद्रह माह देवोंने रत्न वर्षा की।
(३) आपके पिताका नाम दृढ़रथ और माताका नाम सुनंदा था । पिता दृढस्थ मालव देशके भद्दलपुरके राजा थे।
। वर्तमानमे यह नगर मेलया नामसे ग्वालियर रियासतमें है।