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१७ प्राचीन जैन इतिहास
पाठ चौथा। इतिहासके प्रारंभका समय और चौदह कुलकर (मनु).
(१) जब तीसरे कालमेंसे-अवनतिके तीसरे हिस्सेमें से एक पत्यका आठवा हिस्सा बाँकी रहा तब आपाढ सुदी पूनमके दिन सायंकालको सूर्य अस्त होता और प्रकाशमान चंद्रका उदय होता दिखाई दिया । यद्यपि चद्र सूर्य अनादि कालसे वराबर उदय अस्त होते रहते थे परन्तु इस दिन प्रकाश देनेवाले ज्योतिरंग जातिके कल्पवृक्षोंका प्रकाश इतना क्षीण होगया था कि जिस प्रकाशकी तीव्रतासे सूर्य और चर दिखाई नहीं देने थे, वे दिखाई देने लगे । इनको देखकर उस समयके मनुष्य बहुत करे और उन सबमें जो अधिक प्रतापशाली तथा सृष्टि परिवर्तन के नियमों जाननेवाले प्रतिश्रुति नामक पुरुष थे उनके पास जाकर अपने भयका हाल कहा। उन्होंने आगत मनुष्योंको समआया कि वह सूर्यसे डरनेका कोई कारण नहीं है । और भविन्य जीवनका निर्वाह किस प्रकारसे होगा और कैसा व्यवहार होगा, यह भी बताया। प्रतिश्रुतिके इस प्रकारसे बोध देनेसे डरे हुए मनुष्यों को शांति हुई । यही प्रतिश्रुति पहिले कुलकर मनु-थे। इन्हीं समयसे इतिहासका प्रारंभ हुआ।
(२) इनके असंख्यात करोडों वर्ष बाद सन्मति नामके दू रे कुलकर उत्पन्न हुए। इनके समयमें ज्योतिरंग नागके करमोका प्रकाश इतना कम हो गया था कि उसके प्रकाशले तारागणों और नक्षत्रों का प्रकाश भी नहीं दव सका और वे प्रगट हुए । इन्हें