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प्रथम भाग।
११६ चामर आदि गणघर. २४०० पूर्वज्ञानके धारी. २५१३५० साधु ११००० अवधि ज्ञानके घारी. १३००० केवलजानो. १८९०० विक्रिया ऋद्विधारी मुनि. १०४०. वादी मुनि. १०४०० मन पर्यय ज्ञानी. २३०००० अनतमती आदि माथिकाएँ, ३००००० श्रावक. ९००००० श्राविकाएँ.
(११) भगवान् सुमतिनाथकी मायुमें नब एक भास बाकी रह गया तब आप समाज पृथ्वीपर विहारकर सम्मेदशिखर पर पधारे । यहाँपर दिव्यध्वनिका होना बंद हुआ। इस एक माहमें शेष कर्मोका नागकर चत्र सुदी ग्यारसको एक हजार मुनि सहित सम्मेदशिखरसे मोक्षं पधारे । -- (१२) मोझ जाने के बाद इन्द्रादि देवोंने पूर्वक तीर्थकरोकि समान निर्माण क्ल्याणक उत्सव मनाया। अग्निकुमार मातिक देवोंने अपने मुकुटकी अग्निसे भगवान्के शरीरका दाह किया ।
पाठ सत्रहवा ।
पद्ममभु (छठवें तीर्थकर) (१)सुमतिनाथ भगवान्के नब्बे हजार कोटि मागर बाद प्रधान रेपन्न हुए,