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प्रथम भाग
पाठ आठवाँ। युवगज बाहुबली (प्रथम कामदेव)
(१) भगवान ऋषभदेवके दूसरे पुत्र बाहुबलीका जन्म महारानी सुनदाके गभसे हुआ था।
(२) बाहबली सबसे पहिले कामदेव थे । इमलिए इनका स्वरूप इतना सुदर था कि इनके समान उस समय कोई भी मनुष्य सुदर न था।
(३ बाहुबली चरम-शरीरी थे अर्थात् इसी भवसे मोक्ष जानेवाले थे
(१) भगवान ऋषभदेव नव तप करनेको उद्यत हुए तक बाहुबल'को भरत चक्रवर्तीक युवराज पद दिया था और अभिषेक किया था।
(1) वाहुबलीका रंग हरा था ।
(६) भरत जब दिग्विजय करके वापिस लौटे तब पोदनापुर दिक्षिण प्रांत के राजा बाहुबली ही पृथ्वीपर ऐसे राजा रह गये थे कि जिन्होंने मन्तवी माज्ञा स्वीकार नहीं की थी। .
(७) भरतकी आधीनता म्बीकार न करने के कारण बाहुबलीको मरतसे युद्ध करनेको तैयार होना पड़ा और दोनोंने अपनी सेना तैयार की परतु दोनों ओरके मंत्रियोंके निश्चयसे सेना द्वारा युद्ध बंद कर दिया गया था। किंतु दोनोंका परस्पर युद्ध होना निश्चय हुआ।
(८) बाहुबली और भरतके आपसमें तीन प्रकारके युद्ध हुए:- जलयुद्ध, दृष्टियुद्ध और वाहूयुद्ध।