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भयम भाग।
उत्पन्न होने में बाधा डाल रहा था सो भरतकी पूजा करनेसे बाहुवलीका वह भाव नाशको प्राप्त हो गया और बाहुवेलीको केवलज्ञान उत्पन्न हुआ।
(१३) केवलज्ञान उत्पन्न होनेपर भरतने फिर केवलज्ञानकी महा पूजा की और इंद्रोने व देवोंने भाकर भी पूजा की।
(१४) केवलज्ञान युक्त होनेपर भगवान् वाहुदलीने पृथ्वीपर विहार किया और प्राणियोंको उपदेश दिया।
(१५) विहार करके अंतमें भगवान बाहुबली कैलाश पर्वतपर विराजमान हुए और वहींसे मोक्ष गये ।
पाठ नौवा। महाराज जयकुमार और महारानी सुलोचना !
१) महाराज जयकुमार कुरुवंशके राजा सोमप्रभ (इम्तिनागपुरके नरेश के पुत्र, थे। जयकुमारकी माताका नाम लक्ष्मीवती था।
(२) जर महारान सोमप्रमने अपने छोटे भाई श्रेयांसक साथ दीक्षा धारण की तब जयकुमारको राज्य देकर इनका राज्यां. भिषेक किया।
(6) महाराज सोमप्रभ महामंडलम्वर थे। इसीलिये इनके पुत्र जयकुमार भी महामंडलेश्वर हुए।
(४, जयकुमारके चौदह छोटे भाई और।
(१) एक दिन जयकुमार पनमें शीलगुप्त नामक मुनिरानके पास धर्म श्रवण करने गये थे। इनके साथ उस वनमें रह