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प्रथम भाग ।
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हिमवान, वैमार, गोग्य वेदि ऋष्यमूक, नागप्रिय, तैरश्चि बेडूर्य कूटाचल, परियात्र, पुष्पगिरि, स्मित, गदा. नामवंत, धूपन, मदेभ, अंगेरियक, महेन्द्र विंध्याचल, नाग, मलयाचल, गोशोप, ददुर पांड्य, कवाट, शीतगृह श्री कग्न, क्रिटिषा, स्ह्य, तुंगवरक, कृष्णगिरि, सुमंदर, मुकुद |
(३) भरत स यमे कुलीन घरकी स्त्रियां और लड़कियां खेत रखाने नादि खेती संबध कार्य करतीं थीं ।
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पाठ बारहवाँ ।
भगवान् अजितनाथ (दूसरे तीर्थंकर)
(२) नौवी तीर्थ में दूर तीर्थंकर भगवान अतिन थ थे । ये देवपम वरोड सागर के बाद उत्पन्न हुए थे । अतिनायके जन्म के पहिले तक भगवान् कपमनेत्रके शासनका समय था ।
(२. अजितनाथ के पिनास नाम नृति और माता का नाम विजयसेना था। इनका वश और गेत्र का था । निए दिन भगवान् गर्भ में आये दिन मानेकी माता के समान सोलह स्वप्न देते । गर्भमें मानेका दिन ज्येष्ट नही माथा | और समय गधिका था | अपभदेव के समान इनकी माता सेवा व गर्भ शोवनके कार्य देवियोंने किये । इन्द्रादि किया और रत्नोंकी वर्षा ह
देने गर्भ कन्या मात तक की