________________
मयम भाग।
जब भगवान् ऋषभ गर्ममें आये । तब तीसरे कालके चौरासी लाख पूर्व तीन वर्ष साड़े आठ माह बाकी रह गये थे अर्थात ५९२७०४००००००००००००००३ वर्ष साड़े आठ मास तीसरे कालके शेष बचे थे उससमय भगवान् . ऋषभदेव गर्भमें आये।
(१६) भगवान्के गर्भ में आते ही इन्होंने व देवोंने आकर अयोध्यानगरीकी प्रदक्षिणा दी। और मातापिताको नमस्कार किया व उत्सव किये । और देवियाने माताकी सेवा करना प्रारंभ कर दी।
पाठ छठवाँ । युगादि पुरुप भगवान ऋषभ । (१) महाराजा नाभिरायके पुत्र भगवान् नपभन्ना जन्म निती चत्र कृष्ण नौमीको उत्तराषाढ़ नक्षत्रके पिछले माग अभिजित् नक्षत्रमें हुआ ! भगवान् जन्मसे ही मतिज्ञान-मानसिकज्ञान, श्रुतज्ञान-शात्वज्ञान और अवधिज्ञान-पूर्वजन्म भादिकी बातें जानना ये तीनों जान मंयुक थे। भगवानका जन्म होते ही प्राकृतिक रीतिसे स्वर्गमें कई ऐसे कौतुहल पूर्ण कार्य हुए निनसे देवोंने भगवान्के जन्म होनेका निश्चय किया और वे सब बडी घामधुमके साथ अगेच्या आये । अयोध्या आरर उन्होंने उमकी प्रदक्षिणा दो और इन्द्राणी भेगकर इन्हें भगवान्को लगाया। इन्द्राणी भगवान को लेकर याई जिन्हें देखनेके लिये दन्द्रने एक हमार नेत्र बनाये के भी उस रूपको देखकर वह नृत