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प्राचीन जैन इतिहास |
वर्तमान इतिहासकारोंके विचार से भारत के इतिहासका प्रारम्भ समय ऊपर बतला चुके हैं । परन्तु जैन इतिहास इसके विरुद्ध है । वह इस थोडेसे समय से ही भारतके इतिहासका प्रारम्भ नहीं मानना । उपके अनुसार इतिहासके प्रारम्भका समय । इतना प्राचीन है कि जिसकी गणना हम हमारे गिनती के अक्षरोंसे नहीं कर सकते। यह बात आगे पाठोंमें साफ तौर से बताई जायगी। यहांपर, वर्तमानके इतिहासकारोंने भारत के इतिहासके प्रारम्भका समय जो करीब चारसे पांच हर वर्ष पूर्वका माना है जैन धर्मानुसार उससे भी प्राचीन सिद्ध करने लिये नीचे लिखे हुए श्रमाण दिये जाते हैं
(१) जैन धर्मानुसार मध्य एशिया
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पश्चिम भाग व यूरो
पकी पूर्व समतल भूमि जहां पर
पहिले
आर्य लोग रहते थे
पर्यड होने हैं । अत उनका दूधरे देशों में अर्थान आये देश निवाय अन्य देशसे आना नहीं कहलाया जा मकता |
(२) जनधर्मने जो यह माना है कि वर्तमान हिन्दुस्थान ही नहीं किंतु यूरोपादि कहीं द्वीप आर्य खंडमें है मोज घर्नका मानना इस लिये और ठीक मातृम होता है कि वर्तमानके इतिहामकार जम मध्य एशिया के पश्चिम मान व युरोपके पूर्व मागसे यो आना यहां तलने हैं तो बक देश भी आयेनानियोक रहने के स्थान होनेके कारण आर्यवड नानने पड़ेंगे क्योकि रहनेका स्थान ही कार्यखंड कहलाता है ।
(३) कई विद्वानोंने वेदों गौरव - दृष्टि मन्य किया है। कीटसके परंभ कलने ही कोई भी ऊंच बेड़ोंके समान सग ठेव