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प्रथम भाग ।
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नहीं हो सकते और ऐसी अवस्थामें जब कि लोग अनपढ़ बताये जाते हैं । इससे मालूम होता है कि न तो उस समयके मनुष्य ही अनपढ़ थे और न वह समय ही आर्य जातिके इतिहासके प्रारंभका था किंतु इस समय से भी क्रोढों वर्षो पहिलेसे मार्य जातिका इतिहास चला आता होगा ।
(8) किसी जातिको रंगमें काले होने हीके कारण अनार्य नहीं कह सकते । अतएव द्राविड़ जाति भो केवल इसी लिये अनार्य नहीं कहला सकती । और न इसके ही लिये कोई काफी प्रमाण है, कि द्राविड, कोल, मंगोल आदि जंगली जातियोंके सियाय भारतवर्ष में और कोई सभ्य जाति थी ही नहीं । (५) जैन धर्मानुसार वर्तमान इतिहासकारोंके अनुमान पर यदि हम विचार करे तो एक प्रकार से इतिहासकारोंका यह अनुमान सत्य सिद्ध करने में जैनधर्म बहुत कुछ सहायता देगा क्योंकि जैन धर्म Train तीर्थंकर भगवान् नेमिनाथके मोक्ष जानेके पीनेचौरामी हजार वर्षोंके वाढ भगवान् पार्श्वनाथके जन्म होने तक धर्मका मार्ग बिलकुल बंड हो गया था अर्थात उस समयकी प्रजा धर्ममार्गसे रहित थी और धर्म मार्गसे रहित होना ही चारित्र हीन्ता - अनार्यना- जंगलीपनका कारण है । एक जिस समयका अनुमान हमारे इतिहासकार करते है वह समय यही होगा | और धर्ममार्गसे रहित होनेके कारण आप समय के | मनुष्यको इतिहासकारोंने अनार्य समझा होगा परन्तु यह तो किसी तरह भी सिद्ध नहीं हो सका है कि जिन लोगोको ये