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मैं अच्छे फल भोग रहा हूं।' यह सब कहने वाला भी मन ही है। और ब्रिटिश म्यूजियम में बैठा हुआ मार्क्स भी मन ही है, जो गरीबी का मूल कारण उन लोगों को मानता है जो लोगों का शोषण करते हैं।
लेकिन शोषण करने वाले लोग तो हमेशा मौजूद रहेंगे। जब तक मन की चालाकी पूरी तरह से नहीं मिट जाती, जब तक शोषण करने वाले लोग हमेशा मौजूद रहेंगे। यह प्रश्न कोई समाज के ढांचे को बदलने का नहीं है। यह समस्या मनुष्य के व्यक्तित्व के पूरे ढांचे को बदलने की है।
तुम क्या कर सकते हो? तुम ऊपरी बदलाहट कर सकते हो, अमीरों को हटा सकते हो –लेकिन वे पीछे के दरवाजे से फिर वापस आ जाएंगे। वे बहुत ही चालाक हैं। सच तो यह है कि जो क्रांतिकारी उन्हें हटाते हैं, वे उनसे भी चालाक होते हैं, अन्यथा वे उन्हें हटा ही न सकेंगे। अमीर तो शायद किसी दूसरे दरवाजे से वापस न भी आ पाएं -लेकिन वें लोग जो स्वयं को क्रांतिकारी कहते हैं, कम्युनिस्ट कहते हैं, समाजवादी कहते हैं-वे सिंहासनों पर बैठ जाएंगे और फिर से नए ढंग से शोषण करना प्रारंभ कर देंगे। और ये लोग ज्यादा खतरनाक ढंग से शोषण करेंगे, क्योंकि अमीरों को हटाकर वे अपने को ज्यादा चालाक सिद्ध कर देंगे। अमीर को हटाकर, उन्होंने एक बात तो सिद्ध कर ही दी कि वे अमीरों की अपेक्षा अधिक चालाक हैं। इस तरह समाज ज्यादा चालाक लोगों के हाथ में चला जाता है।
और ध्यान रहे, अगर किसी दिन दूसरी तरह के क्रांतिकारी पैदा हो गए-जो कि होंगे ही, क्योंकि लोग फिर से महसूस करेंगे कि शोषण तो मौजूद है ही, बस अब उसने नया रूप ले लिया है तो फिर से क्रांति होगी। लेकिन पुराने क्रांतिकारियों को कौन हटाएगा? फिर पुराने क्रांतिकारियों को हटाने के लिए और ज्यादा चालाक लोगों की जरूरत होगी।
जब भी कभी किसी व्यवस्ता विशेष को हटाना होता है, तो उन्हीं साधनों का उपयोग किया जाता है जिनका उपयोग वह व्यवस्था अपने लिए कर चुकी है। तो फिर केवल नाम बदल जाएंगे, झंडे बदल जाएंगे, समाज वैसा का वैसा ही बना रहेगा।
बहुत हो चुकी यह बकवास। सवाल भिखारी का नहीं है, सवाल तुम्हारा है। यह चालाकी छोड़ो। यह मत कहो कि यह उसके कर्म हैं –कर्म के संबंध में तुम कुछ भी नहीं जानते हो। कुछ बातें जो समझाई नहीं जा सकती हैं, उन्हें समझाने का यह एक तरीका है, जो बात हृदय को पीड़ा देती है, उसे समझाने का यह तरीका है। एक बार तुम यह सिद्धांत स्वीकार कर लेते हो तो तुम जिम्मेवारी से मुक्त हो जाते हो। फिर तुम अमीर बने रह सकते हो और गरीब गरीब बना रह सकता है, कोई अड़चन नहीं रह जाती है। यह सिद्धांत बफर का काम करता है।
यही कारण है कि भारत में इतनी गरीबी है, और लोग गरीबी के प्रति पूरी तरह संवेदन-शून्य हो गए हैं। इनके पास अपने कुछ निश्चित सिद्धांत हैं, जो उनकी मदद करते हैं। जैसे कि तुम कार में बैठो और कार में शॉक – एब्जाहर्वर हो, तो सड़क के गड्डे महसूस नहीं होते, शॉक एब्जाहर्वर उन धक्कों को झेल लेता है। कर्म का यह परिकल्पित सिद्धांत एक बहुत बड़ा शॉक एब्जार्वर है। गरीबी का