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सित हैं। पहले निर्दोष और सरल व्यक्ति गरीब हुआ करते थे और चालाक लोग अमीर हुआ करते थे। तुम क्या कर सकते हो? जब तक मन और हृदय के बीच का भेद नहीं मिटता, जब तक मनुष्यता मन से न जीकर हृदय से जीना प्रारंभ नहीं करती, वर्ग बने ही रहेंगे। वर्गों के नाम बदल जाएंगे, और पीड़ा वैसी की वैसी बनी रहेगी।
प्रश्न बहुत ही प्रासंगिक, अर्थपूर्ण और महत्वपूर्ण है 'एक भिखारी के लिए मैं क्या कर सकता हूं?'
प्रश्न भिखारी का नहीं है। प्रश्न तुम्हारा और तुम्हारे हृदय का है। कुछ करो, जो कुछ भी तुम कर सकते हो करो, और अमीर लोगों पर इसकी जिम्मेवारी डालने की कोशिश मत करना, इतिहास पर इसकी जिम्मेवारी डालने की कोशिश मत करना, आर्थिक ढांचे पर इसकी जिम्मेवारी डालने की कोशिश मत करना, क्योंकि वे बातें गौण हैं, सेकेंडरी हैं। अगर मनुष्यता चालाक, कुशल, स्वार्थी और धोखेबाज बनी रहती है, तो यही बार-बार दोहराया जाता रहेगा।
तुम इसमें क्या कर सकते हो? तुम तो समग्र के एक छोटे से अंश हो। तुम जो कुछ भी करोगे उससे परिस्थिति तो नहीं बदल सकती–पर तुम बदल सकते हो अगर भिखारी को तुम कुछ देते हो, तो इससे भिखारी तो शायद न बदल सके, लेकिन तुम्हारा प्रेम, तुम्हारे देने का भाव कि जो कुछ भी तुम दे सकते थे तुमने दिया, वह देने की भावदशा तुम्हें जरूर बदल देगी। और यही बात महत्वपूर्ण है। और अगर इस पृथ्वी पर प्रेम बढ़ता चला जाए-लोगों के हृदय में क्रांति हो जाए-लोग एक – दूसरे को अनुभव कर सकें, मनुष्य मनुष्य का एक साधन की तरह उपयोग न करे, अगर यह बात पूरी पृथ्वी पर फैलती चली जाए, तो एक दिन गरीब मिट जाएंगे, गरीबी मिट जाएगी, और शोषण करने वाला कोई नया वर्ग उसका स्थान न ले सकेगा।
अभी तक सभी क्रांतिया असफल हुई हैं, क्योंकि क्रांतिकारी गरीबी की जड़ को ही नहीं समझ पाए। वे केवल ऊपर-ऊपर से कारणों की छान –बीन करते रहे हैं। और उनके पास कहने के लिए यही होता है, 'कुछ लोगों ने गरीबों का शोषण किया है, इसीलिए उनके पास धन है। यही गरीबी का कारण है, इसीलिए इस दुनिया में गरीबी है।'
लेकिन वे कुछ थोड़े से लोग शोषण कर कैसे सके? वे क्यों नहीं देख सके? वे क्यों नहीं देख सके कि उन्हें कुछ भी मिल नहीं रहा है और किसी का सब कुछ खोया जा रहा है? वे धन भला इकट्ठा कर लें, लेकिन अपने आसपास जीवन को नष्ट कर रहे हैं। उनका धन गरीबों के रक्त के अतिरिक्त और कुछ नहीं है। वे इसे क्यों नहीं देख पाते?
चालाक मन इसमें भी व्याख्याएं ढूंढ निकालता है। मन कहता है कि 'लोग अपने कर्मों के कारण गरीब हैं। पिछले जन्म में उन्होंने जरूर कुछ गलत और खराब कर्म किए होंगे, इसीलिए वे इस जन्म में कष्ट भोग रहे हैं। मैं धनी हं, अमीर हैं। क्योंकि मैंने पिछले जन्म में अच्छे कर्म किए हैं, इसीलिए