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५८ :: परमसखा मृत्यु
पृथ्वी।' ____ और जो लोग मानते हैं कि यह सारी जिन्दगी और दुनिया का सब व्यापार केवल एक खेल है और वह भी निष्प्रयोजन
और निःसार है, उनको भी शरीर को और दुनिया को छोड़ते मानसिक दुःख नहीं होना चाहिए। ___अब रहा शरीर का दुःख' यानी वेदना। उसे कम करना या बिल्कुल दूर करना मनुष्य के पुरुषार्थ का विषय है। जिसे जीना ही है वह अपरिहार्य वेदना सहन करेगा। जो वेदना कम हो सकती है, उसे कम करेगा। उसकी दोहरी शर्त होती हैमुझे जिलामो भी और मेरा दुःख भी दूर करो। लेकिन जहां मरण की तैयारी है, वहां मरण लेते-देते शर्त एक ही है कि हो सके तो वेदना दूर करो। मरण के आयास टालने की क्रिया को अंग्रेजी में 'युथेनेशिया' कहते हैं। हम उसे अनायास मरण कहते हैं । मरण के अनायास प्रकार प्राचीन काल से मनुष्य ने
रोमन बादशाहों के दिनों में जब बादशाह किसी बड़ आदमी से नाराज होता था और उसे देहान्त शासन करना चाहता, तब उसे पकड़कर मार डालने का अशिष्ट प्रकार टालना वह पसन्द करता था। कहला भेजा कि बादशाह ने तुम्हें मरण की सजा दी है। उसके बाद वह आदमी स्वयं ही अनुकल ढंग से मर लेता था । रोमन सम्राट नीरो ने अपने वृद्ध प्रमुख प्रधान सेनेका को मृत्यु-दण्ड सुनाया। सेनेका ने बादशाह को सन्देश भेजा कि मेरी सारी जायदाद आप ले लीजिए और मुझे निवृत्ति में रहने दीजिए। बादशाह ने नहीं माना।
उन दिनों मरने का आसान तरीका था, अपनी नस काटकर खून बहाने का। खन बहते-बहते आदमी बेहोश हो जाता है और बिना किसी वेदना के जीवन समाप्त हो जाता है । सेनेका