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पुनर्जन्म की उपयोगिता :: १२७ पूर्वजन्म की बातें जानते हैं।" इसलिए जब हम पूर्वजन्म को आगे करते हैं, तब उसके साथ होगा' शब्द का प्रयोग होना चाहिए । 'है' कभी भी इस्तेमाल न किया जाय । जहां 'होगा' शब्द का प्रयोग होता है, वहां न भी हो' का स्वीकार होता ही है। सत्य की निष्ठा की खातिर, और बुद्धि की शुद्धि के लिए दोनों विकल्पों की संभावना को स्वीकार करके ही आगे चलना चाहिए। __ पुनर्जन्म नहीं है, यह हम नहीं कह सकते, इसीलिए इसी आधार पर पुनर्जन्म है, कहकर अधिक व्यौरे में उतरना हमें शोभा नहीं देता। बौद्धिक आलस्य को छोड़कर उत्साहपूर्वक सत्य की खोज करते जायं, तभी हमें जीवन का रहस्य प्राप्त होगा। सामने के आदमी को इससे दूसरा कोई तजरबा आया हो, तो वह उसे मुबारक हो । सत्यनिष्ठ आदमी सब तरह से जांच करने के बाद ही कदम रक्खेगा और सामने आदमी की प्रामाणिकता को स्वीकार करने पर भी उसकी राय और मान्यताओं को झट स्वीकार नहीं करेगा।
पुनर्जन्म की कल्पना का सेवन खतरे से खाली नहीं है। इतना समझकर चलें तो काफ़ी है। यह विवेचन किसी की आलोचना करने के लिए नहीं, लेकिन अपनी सत्यनिष्ठा अधिक शुद्ध करने के लिए लिखा गया है। अक्तूबर १९५४
२२ / मोक्ष-भावना
दुनिया को सब संस्कृतियों की तुलना करके देखने पर कहना पड़ता है कि हमारी संस्कृति को सर्वोच्च भावना मोक्ष की है। इसमें हमारी जाति ने जितना चिन्तन किया है, उतना