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पुनर्जन्म की उपयोगिता :: १२५ और विकृत होते हैं। इसकी कई मिसालें पुराणों से हमें मिलती हैं। समाज-जीवन को कुरेदने वाला अगर कोई सबसे खराब गुनाह है तो वह है व्यभिचार । इसके लिए भी पिछले जन्म का सम्बन्ध जोड़ कर उसका बचाव करने वाले पौराणिक हमारे यहां हैं।
आदमी अपथ्य से बीमार पड़ता है, तब भी वह पुनर्जन्म के पापों की ढाल आगे करता है। जब इम्तहान में फेल होता है, तब अपनी पढ़ाई कच्ची थी, इसको स्वीकार करने के बदले वह पिछले, न देखे हुए अदृश्य देव का कारण ढूंढ़ता है, यह भी उसी वृत्ति की एक मिसाल है । यह वृत्ति अगर दृढ़ हुई तो आदमी पढ़ने के बजाय पूर्वजन्म के पापों का परिहार करने के लिए बारह-बारह सालों तक जप करने लगेगा।
मनुष्य पर तथा गरीब जनता पर जो अन्याय होता है, उसे देखकर तिलमिलाकर उसकी सहायता करने के लिए दौड़ने के बजाय, और अगर जरूरत पड़े तो पुरुषार्थपूर्वक अपना बलिदान देने के बजाय, लोग गरीबों के पूर्वजन्म को कोसते हैं और जो कुछ चल रहा है, वह ठीक ही चल रहा है, ऐसा मानकर या कह कर संतोष अनुभव करते हैं। अन्याय, अत्याचार, संकट ऐसी कोई भी चीज नहीं है, जिसके लिए पूर्वजन्म की बात को छोड़कर आदमी अपनी कर्तव्य-बुद्धि का गला न घोंट सके ।
लोभ के वश होकर कोई मां-बाप अगर अग्नी जवान लड़की की किसी बूढ़े के साथ शादी कर दे और लोग दोष देने लगें तो वे कहेंगे कि उसके नसीब में अगर लिखा होगा तो ऐसे पति से भी उसको काफी सुख मिल जायगा और अगर वह विधवा हो जाय तो भी पूर्वजन्म के पाप और दैव, मां-बाप की सहायता के लिए हाजिर हैं ही।
सामाजिक कठोरता, अन्याय और अत्याचार को जन्मांतर