Book Title: Nitivakyamrut me Rajniti
Author(s): M L Sharma
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 14
________________ शास्त्र सम्बन्धी समस्त विषयों का इतना विशद एवं सारगर्भित विवेचन हुआ हो । कोटिल्य जैसा महान् राजनीतिक एवं कूटनीतिज्ञ अभी तक संसार में उत्पन्न हो नहीं हुआ । कौटिल्म राजनीतिके ज्ञाता ही नहीं राजनीति के एक प्रमुख सम्प्रदाय के संस्थापक भी थे। वे इस बात से भली-भांति परिचित थे कि लोक कल्याण के लिए केवल उत्तम शासन व्यवस्था ही पर्याप्त नहीं वरन् उस के लिए आर्थिक तथा सामाजिक व्यवस्था भी उतनी ही आवश्यक है। सुगठित सामाजिक तथा आर्थिक व्यवस्था स्थायी एवं सुदृढ़ राज्य की आधार शिला है। अतः जहाँ कौटिल्य ने आर्थिक नीति सम्बन्धी विषय का प्रतिपादन किया है वहाँ उन्होंने उन नियमों का भी उल्लेख किया है जिन से एक आदर्श तथा सुव्यवस्थित समाज की स्थापना सम्भव हो सकती है। समाज के दुर्गुण, असन्तोष तथा उस की शिथिलता सम्पूर्ण राज्य के लिए घातक सिद्ध हो सकती है । इसलिए कौटिल्य ने उन नियमों का भी प्रतिपादन किया है जिन से एक विशुद्ध एवं सुन्दर समाज की स्थापना हो सके और उस में निवास करने वाले व्यक्तियों की नैतिक तथा भौतिक उन्नति हो सके । उत्तम राजनीतिक संगठन तथा सामाजिक संगठन दोनों ही लोक कल्याण के लिए बहुमूल्य साधन हैं । अर्थशास्त्र का रचना काल I कौटिल्य के अर्थशास्त्र की तिथि के सम्बन्ध में विद्वानों में मतभेद है । भारतीय मन्त्री विष्णुगुप्त ने इस की रचना की थी। प्रयुक्त हुआ हूँ । * अन्य स्रोतों से यह भी (१३, १४) । अर्थशास्त्र के अन्तः साक्ष्य 3 थे रचयिता मौर्य सम्राट् चन्द्रगुप्त मौर्यकाल में ही रचा गया । के परम्परा के अनुसार मौर्य सम्राट् चन्द्रगुप्त के अर्थशास्त्र में उन के लिए कौटिल्य नाम भी ज्ञात होता है कि उन को चाणक्य भी कहते तथा बहिःसाक्ष्यै दोनों से ही यह सिद्ध होता है कि इस के गुरु एवं प्रधान मन्त्री कौटिल्म ही थे और यह ग्रन्थ चन्द्रगुप्त मौर्य का शासनकाल ३२१ अथवा ३२३ ई० पूर्व प्रारम्भ होता है । मतः अर्थशास्त्र का रचनाकाल भी इसी तिथि के समीप मानना न्यायसंगत होगा । अर्थशास्त्र के १५वें अधिकरण में लिखा है कि जिस ने शास्त्र, शस्त्र और नन्द राजाओं से भूमि का उद्धार किया, उसी विष्णुगुप्त ने यह अर्थशास्त्र बनाया है । अन्य प्राचीन ग्रन्थों से भी इस बात की पुष्टि होती है कि कौटिल्य नध्दवंश का अन्त करने वाला तथा चन्द्रगुप्त मौर्य को मगध के सिंहासन पर आसीन कराने वाला व्यक्ति था और उसी ने अर्थशास्त्र की I . काँ० अर्थ ० २.१ । १. शास्त्राण्यनुकाय प्रयोगमुपलभ्य । कौटियेन नरेन्दार्थं शासनस्य विधिः कृतः । २. कौ० अ० १५.१ । ३. कामन्दक नीतिकार १, ६ ४. कौ० अर्थ ० १५० १ भारत में राजनीतिशास्त्र के अध्ययन की परम्परा

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