________________
(१८) - ये प्राचार्य किस गच्छ एवं किस शाखा के थे ? शिलालेख में कुछ भी नहीं लिखा है।
"संवत् १२८१ वैशाख सुदि ३ शनौ पितामह श्रे० साम्ब पितृ श्रे० जसवीर मातृ लाष एतेषां श्रेयोऽथ सुत गांधी गोसलेन बिंब कारितं प्रतिष्ठितञ्च श्रीचन्द्रसूरि शिष्यः श्री जिनेश्वर सूरिभिः ॥"
___ आ० बु० धातु ले० सं० लेखांक ६२७ ये प्राचार्य शायद् जिनपतिसूरिके पट्टधर हो इनके समय तक भी खरतर शब्द का प्रयोग अपमान बोधक होनेसे नहीं हुआ था।
'सं० १३५१ माघ वदि १ श्रीप्रल्हादनपुरे श्रीयुगादि देवविधि चैत्य श्रीजिनप्रबोधसूरि शिष्य श्रीजिनचंद्र सूरिभिः श्रीजिनप्रबोधसूरि मूर्ति प्रतिष्ठा कारिता रामसिंह सुताभ्यां सा० नोहा कर्मण श्रावताभ्यां स्वामातृ राई मई श्रेयोऽर्थ ॥"
आ० बु० धा० ले० सं० लेखांक ७३४ ये आचार्य जिनदत्तसूरि के पांचवे पट्टधर थे। इनके समय तक भी खरतर शब्द को गच्छ का स्थान नहीं मिला था। ___ॐ सम्वत् १३७६ मार्ग० वदि ५ प्रभु जिनचंद्रसरि शिष्यैः श्रीकुशलसूरिभिः श्रीशान्तिनाथ बिंबं प्रतिष्ठित कारितञ्च सा० सहजपाल पुत्रैः सा० धाधल गयधर थिरचंद्र सुश्रावकैः स्वपितृ पुरययार्थं ॥"
बाबू पूर्ण खंड तीसरा लेखांक २३८९. ॐ सं० १३८१ वैशाख वदि ५ श्री पत्तने श्री शांतिनाथ