Book Title: Khartar Matotpatti
Author(s): Gyansundar Maharaj
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpamala

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Page 136
________________ एक मछली समुद्र को गन्दा बना देती है । ____कहने की आवश्यकता नहीं है कि खरतरमत क्लेश कदाग्रह एवं उत्सूत्र भाषण से पैदा हुआ है । इस मत के लोगों ने कई प्रकार से षड़यन्त्र रच कर जैनजगत को नुकसान पहुँचाया और आज भी पहुँचा रहे हैं, इतना ही नहीं पर वे राजा बादशाहों से भी नहीं चूके थे। उनके लिये भी कई प्रकार के षड़यन्त्र रच कर उनको नुकसान पहुंचाने के मिथ्या प्रयत्र किये थे। जैसे विक्रम की सतरहवीं शताब्दी में खरतरमत में एक मानसिंह नामका साधु था जो जिनसिंहसूरि नाम से कहलाया जाता था तथा वह अपने को ज्योतिष विद्या में प्रवीण होना भी कहता था। उस मानसिंह ने बादशाह जहाँगीर के लिये एक ऐसा षड़यन्त्र रचा कि जिसके लिये बादशाह जहाँगीर को उसके विरुद्ध एक कठोर फरमान निकालना पड़ा । इतना ही क्यों पर बादशाह ने अपने राज में थाने की भी मनाई कर दी थी । इन सब बातों को स्वयं बादशाह ने अपनी तुजुक जहाँगीरी' नामक किताब में लिखी थी जिसको मुन्शी देवीप्रसादजी जोधपुर वालों ने हिन्दी अनुवाद कर 'जहाँगीर नामा' नाम से ई० स० १९०५ में छपवाया है । वह किताब जोधपुर में मिलती है तथा इस समय मेरे सामने मौजूद भी है उस किताब के पृष्ट ३०९ पर निम्नलिखित लेख मुद्रित है । जिसको पढ़ने से पाठक स्वयं सोच लेंगे कि एक गन्दी मछली तमाम समुद्र को कैसे गन्दा बना देती है अर्थात् एक कुलकलंक कुपात्र के जरिये शासन पर किस प्रकार कलंक लगता है।

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