Book Title: Khartar Matotpatti
Author(s): Gyansundar Maharaj
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpamala

View full book text
Previous | Next

Page 143
________________ ( ४७ ) "बादशाह के यहां नौ रोज के जलसों में मोनाबाजा लगता था जिसमें अमीरों की औरतें भी बुलाई जाती थ । पृथ्वीराज ने अपनी रानी चांपादेजी को वहां जाने से मना कर रखा था । मगर रायसिंहजी के दीवान करमचन्द के भेद दे देने से ( जो बीकानेर से निकाला हुआ बादशाह के पास रहता था ) बादशाह पृथ्वीराज से उनकी अंगूठी देखने के बहाने लेकर महल में चले गये। जहां से वह अंगूठी चांपादे रानी के पास पृथ्वीराज के नाम से भेज कर कहलाया कि तुमको मीनाबाजार में जाने की आज्ञा है । रानी धोखे में आकर चली गई । " राजरसनामृत पृष्ठ ४० 'दीवान कर्मचंद के भेद दे देने से' -- इस शब्द का क्या अर्थ हो सकता है ? क्या राठौर वीर पृथ्वीराज की रानी चम्पादेवी को बादशाह अकबर से मिलाने का उपाय कर्मचन्द ने बतलाया था जिससे बादशाह चम्पादेवी को मीना बाजार में बुला कर उससे मिला । यदि यह बात गलत है तो जैनसमाज को इसका जोरों से विरोध करना चाहिये । मैंने ये दो बातें लिखी हैं इसमें मेरा आशय जैन समाज को चैतन्य कर उनको अपने कर्तव्य का भान कराना है । इनके अलावा श्रीयुत छोटेलाल शर्मा फुलेरा वालों ने ई० सन् १९१४ में एक " जाति श्रन्वेषण प्रथम भाग " नामक किताब मुद्रित करवाई थी जिसके पृष्ठ १३२ से १३८ तक श्रोस

Loading...

Page Navigation
1 ... 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166