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श्री जैन इतिहास ज्ञानभानु किरण नं० ३४
श्रीमद्रत्नप्रभसूरीश्वरपादपद्मभ्यो नमः खरतर-मत्तोत्पत्ति भाग तीसरा
'खरतर-मत्तोत्पत्तिभागपहिले-दूसरे में प्रायः खरतरानुयायियों के प्रमाणों द्वारा यह सिद्ध कर बतलाया है कि खरतरमत की उत्पत्ति न तो जिनेश्वरसूरि द्वारा हुई है और न अभयदेवसूरि ही खरतर थे। अब तीसरे भाग में यह बतलाया जायगा कि खरतरमत की उत्पत्ति किस समय, किस कारण और किस पुरुष द्वारा हुई थी ?
खरतरमत की नींव डालनेवाला मूल पुरुष था जिनवल्लभसूरि अतः पहले जिनवल्लभसूरी का संक्षिप्त परिचय करवा देना बहुत जरूरी है।
जिनवल्लभ कौन था इस विषय का सबसे प्राचीन उल्लेख "गणधरसार्द्धशतक" नामक ग्रन्थ में मिलता है जिसके रचियता जिनदत्तसूरि हैं और उस ग्रन्थ पर जिनपतिसूरि के शिष्य सुमति गणि ने वृहदवृत्ति रची हैं । प्रस्तुत ग्रन्थ में जिनवल्लभ के विषय में लिखा है कि :____"इतश्च तस्मिन् समये आसिकाभिधानदुर्गवासी कूर्चपुरीय जिनेश्वराचार्यआसीत्,तत्र. ये श्रावकपुत्रास्ते सर्वेऽपि तस्य मठे पठन्ति, तत्र च जिनवल्लभ नामा श्रावक