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४. कई कहते हैं कि शास्त्रार्थ चैत्यवासियों के साथ हुआ । + ५. कई कहते हैं कि शास्त्रार्थ ८४ मट्ठपतियों के साथ हुआ। 1 ४ - जिनेश्वरसूरि का शास्त्रार्थ किस विषय का था। १. कई खरतर कहते हैं कि शास्त्रार्थ कांसी पात्र का था २. कई कहते हैं कि शास्त्रार्थ लिंग विषय का था । ३. कहते हैं कि शास्त्रार्थ चैत्यवास वसतिवास का था । + ४ - कई खरतर कहते हैं कि शास्त्रार्थ साध्वाचार का था ५ - जिनेश्वरसूरि के शास्त्रार्थ का समय १. केई खरतर जिनेश्वरसूरि के शास्त्रार्थ का समय वि०सं० १०२४ का बतलाते हैं
२ कई खरतर शास्त्रार्थ का समय वि० सं० १०८० का बतलाते हैं
+ तथा चैस्यवासिनो हि पराजया X X
चैत्यवासिभिः सह विवादे
" ख० प० पृष्ठ २२”
विरुदः
$ संवत् १०८० दुर्लभराजसभायां ८४ महपत ेन जित्वा प्राप्त खरतर 'ख० प० पृष्ठ १०' * खरतर हुनि मगनसागर अपने सिद्धान्त मगनसागर पृष्ट ९४ पर लिखते हैं कि जिनेश्वरसूरि का शास्त्रार्थ कांसी पात्र का था
- दुर्लभ राजसभायां लिगिविवादे चैत्यवासिभिः सहविवादे श्रीजिनेश्वर सूरिणा जिल्ला 'ख० प० प्र० प० पष्ठ २७२'
દ
+ सूराचार्यैः वसतिवास प्रतिषेधकं जिनगृहवास समर्थकं स्वकपौल कल्पित शास्त्रप्रमाणां दर्शितम्
+ वर्सातवास प्रदर्शकं जिनगृह
निवास निषेधकं च अनेक प्रमाण संदर्भ दर्शयित्वा
-
'षटस्थानक प्रकरण प्रस्तावना पृष्ठ २