Book Title: Karm Vipak Pratham Karmgranth
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 12
________________ घर पर ही रखकर किसी दफ्तर में नौकर नहीं करादिया - उच्च शिक्षा के फायदे बुद्धिमान लोग ही जानते हैं. यदि इसी प्रकार हमारे धनिक भाई अपने ही पुत्रों को दूर. देशों में उच्च शिक्षा पाने के लिये भेजते रहें तो हमको, अपनी जाति को गिरी हुई कहने का भी अंवसर नहीं मिले, पर सूखी रोटी खाकर ही गुजर करलेंगे' या 'हमारा. धन पीदियों तक नहीं खूटेगा हम क्यों पहें ' इन सिद्धांतों ने भारत का नाश किया, जैन जाति का नाश किया, निर्लोभता की आड. में पुरुषार्थ हीनता कार्य करने लंगी. ... ... ... . .. .. : : ... कठिन परिश्रम करके पांच ही वर्ष में सम्बत् १९६० में एल. एम. एस. की परीक्षा में उत्तीर्ण हुये, और डाक्टर हरक• चन्दजी राजपूताना की ओसवाल जाति में प्रथम ही और आज तक एक ही डाक्टर हुये थोड़े ही काल में आपको रेवाड़ी में रेलवे . • लाइन पर असिस्टेंन्ट सरजनी का पद प्राप्त हुवा सम्वत् १९६१ में पटियाला स्टेट की ओर से राजपुरा में असिस्टेंन्ट सजन हुये वहां से:१६६३ में श्रीमान् अलवर नरेश ने अपनी राजधानी के बड़े अस्पताल में बुलालिया अलवर में पहले असिस्टेन्ट सर्जन का पद नहीं था पर श्रीमान् अलवर नरेश ने इनके लिये यह पद स्थापित कर इनको नियत किया. यहां पर डाक्टर हरकंचंदजीने अपनी बुद्धि दक्षता के कारण और इससे भी अधिक

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