Book Title: Karm Vipak Pratham Karmgranth
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 63
________________ (४५) ': कपाय अधिकाधिक हो वह अनंतानुबंधी होता है और ज्यों २ कम हों उनको अन्य तीन समझना चाहिये. अधिकाधिक से नरकगति और ज्यों २ कम ही उनसे शेप ३ गतिय मिलती है. कपायों के सर्वथा अभाव से केवलज्ञान की प्राप्ति होजाती है. दृष्टांत-जैसे किसीने अपनी हानि हुई देखकर किसी पर . अत्यंत क्रोधकर उसकी हत्या करडाली तो फांसी का कारण हवा यदि उसको दंड दिया मार पीट दी तो कैद जाने का कारण हुवा यदि उसको गाली दी तो दंड का कारण हुघा. क्षमा की तो कोई हानि नहीं हुई इसलिये क्रोध, मान, माया ओर लोभ का त्याग करना चाहिये और क्षमा सरलता आदि गुण प्राप्त करना चाहिये अन्यथा ज्यों २ कपाय अधिक करेंगे त्यो २ अधमगति प्राप्त होंगी और त्यों २ सम्यक्त्व, देशपिरति सर्दविरति और यथाख्यात चारित्र प्राप्त होने में हानि होगी. ___ कम बुद्धि वाजों के लिये यह दृष्टान्त बतलाये हैं किंतु प्रसनचन्द्र, राजर्षि की तरह दो घड़ी में अनंतानुबंधी क्रोधादि होजाते हैं और बाहुबलिंजी की तरह एक वर्ष तक भी संज्वलन मान रहसकता है. जलरेणु पुढवि पव्वय, राई सरिसो चउब्धि

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