________________
. . . (७६) . ... ३ रक्तवर्ण-जिस कर्म से हींगलु जैसा. लालवर्ण शरीरं का. :: हो उसको रक्तवर्ण नाम कर्म कहते हैं. ... ... ... ..... • ४ हरिद्रक पीतवर्ण-जिस कर्म से शरीर हलदी जैसा पीला वर्ण का हो उसको हरिद्रक पीतवर्ण नाम कर्म कहते हैं. .: .... ५ श्वेतवर्ण-जिस कर्म के उदय से शरीर शख जैसा सुफेद होवे उसको श्वेतवर्ण नाम कर्म कहते हैं. .......... .: सुरही. दुरही रसा: पण तित्त कड्डु कसाय
अंबिला महुरा । फासा गुरु लहु मिउ खरसी. उपहं सिणिद्ध रुक्खट्टा ॥ ४१ ॥ ........ ., " :गंध नाम कर्म के दो भेद - जिस कर्म के उदय से जीव के शरीर से गंध निकलती है उसको गंध नाम कर्म कहते हैं इसके २ भेद हैं..
सुरभिगंध-जिसः कर्म के उदय. से शरीर में से. सुगन्धि निकलती हो उसको सुरभिगंध नाम कर्म कहते हैं जैसे तीर्थकर भगवान के शरीर में से, पद्मिनी स्त्री के शरीर में से.. ____२.दुरभिगंध-जिस कर्म के उदय से शरीर में से दुर्गधि 'निकलती है उसको दुरभिगंध नाम कर्म कहते हैं जैसे लशुन में ' से दुर्गधि निकलती है....