Book Title: Karm Vipak Pratham Karmgranth
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 112
________________ (४) दूसरों का उपकार करने पर भी दूसरे उससे द्वेष रखते हैं अपकार मानते हैं उसको दुर्भाग्य नाम कर्म कहते हैं. . .. . . सुसरा महुर सुहझुणी, प्राइज्मा सव्वलोत्र गिज्झवश्रो । जसो जस कित्तीअो, थावर दसगं विवज्मत्थं ॥ ५१॥ . .१५ सुस्वर नाम कर्म-जिस कर्म के उदय से जीव का कंठ प्रिय और मधुर होता है उसको सुस्वर नाम कर्म कहते हैं. जैसे कोयल का मैना का मयूर इत्यादि का कंठ.. ... . ... १६ दुस्वर नाम कर्म-जिस कर्म के उदय से जीव का कंठ प्रप्रिय होता है. उसको दुखर नाम कर्म कहते हैं जैसे काग का उंट का लोमड़ी का....::. :: .. .. .. .. : ..... आदेय नाम कर्म-जिस कर्म के उदय से जीव का वचन शुभ हितकारी समझा जाता है उसको आदेय नाम कर्म कहते हैं, १८ अनादेय नाम कर्म-जिस कर्म के उदय से जीव का वचन शुभ हितकारी होते. हुवे भी अशुभ हितकारी समझा जाता है उसको अनादेय नाम कर्म कहते हैं... " .... १६ कीर्तियश नाम कर्म-जिस कर्म के उदय से जीव की कीर्तियश सर्वत्र फैलता है. उसको कीर्चियश नाम कर्म कहते हैं, ..

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