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(८२) २ अशुभविहायोगति-जिस कर्म के उदय से जीव अशुभ चाल से चलता है उसको अशुभ विहायो गति नाम कर्म . 'कहते है जैसे ऊंट टेढा चला करता है मनुष्य भी कभी टेढा चला करता है जब कि पैर टकरा जाते हैं।
विहाय शब्द से अर्थ आकाश का होता है गति से चाल का अर्थ होता है आकाश में ही गमन किया जाता है इसको विहाय गति कहते हैं यह गति का उपयोग त्रस जीव ही करते हैं. पिंड प्रकृतियों का विषय समाप्त होचुका अव प्रत्येक प्रकृतियों
__ का स्वरूप बतलाते हैं. परघा उदया पाणी परेसिं बलिणंपि होइ दुद्धरिसो, उससिण लद्धिजुत्तो, हवेइ सास नाम 'चसा ॥४४॥
पराघात नाम कर्म का स्वरूप । 'जिस कर्म के उदय से जीव का प्रभाव उससे अधिक प्रतिभाशाली और अधिक शक्तिमान आदि पर भी अधिक पड़ता है शत्रु भी उस से भय भीत होते हैं उससे किसी भी प्रकार का बाद करने को किसी का साहस नहीं होता हैं उस को पराघात नाम कर्म कहते हैं. :
जिम कर्म के उदय से जीव श्वासोश्वास सुख पूर्वक लेता