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- ( ८३ ) है उस को उच्छ्वास नाम कर्म कहते हैं ... :: .
उच्छ्वास नाम कर्म का स्वरूप। . . . उच्छ्वास प्रकृति लब्धि आश्रित होती है और इस को शास्त्रों में शायोपशमिक बतलाया है किन्तु वो वचन प्रायिक होने से उदयिक भी बतलाया है उदयिक और क्षायोपशमिक का भेद चतुर्थ कर्म ग्रन्थ में विस्तार से बतलायेंगे। ... __ . 'उच्छ्वास लब्धि के समान आहारक लब्धि और वैक्रिय लब्धि इन को भी उदयिक जानना चाहिये।
रवि बिंबेङ जिअंगं, तावजुनं श्रायवाउनउजलणे, जमुसिण फांसस्स तर्हि, लोहिय वएणस्स उदउत्ति ॥ ४५ ॥ . . . ... . . आतप नाम कर्म का स्परूप । । । ... .जिस कर्म के उदय से जीव के शरीर से उष्ण प्रकाश निकलता है उसको आतप नाम कर्म कहते हैं जैसे कि सूर्य मंडल में रत्न के वादर एकेंद्रियः पर्याप्त पृथ्वी काय के जीव हैं. उनका शरीर शीतल है तथापि उनके शरीर से उष्ण प्रकाश निकलता है जिस से अन्य जीवों को ताप उत्पन्न होता है यह. आतप नाम कर्म का उदय है। ., ... ...". : . . .: किन्तु अग्नि कार्य के जीवों का शरीर उष्ण होने पर भी