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नारकी के शरीर में, १. इंद्रिय के शरीर में संघयण (हड्डी का मिलाप ) नहीं होता है ।
सम चउरसं निग्गो हसाड़ खज्झाइ वामणं हुंड सठाणी वरण किएह नील लोहिय हलिद्द सिया ॥ ४० ॥
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संस्थान, नाम कर्म के ६ भेद |
जिस कर्म के उदय से शरीर की आकृति बनती है उसको संस्थान नाम कर्म कहते हैं संस्थान नाम कर्म ६ प्रकार के होते हैं ।।
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. १ 'सम चतुरंखसंस्थान - जिस कर्म के उदय से ( पालधी लगाकर बैठने से ) दाहिने कंधे से बांये गोडे तक का अंतर, दाहिने गोडेसे बांये कंधे तक का अंतर, दाहिने गोड़े से बांये गोडे तक का अंतर और पालधी से मस्तक तक का अंतर ये चारों ही अंतर सम अर्थात् बराबर हो अथवा सामुद्रिक शास्त्रानुसार शरीर सुंदर हो उसको सम चतुरस्र संस्थान नाम कर्म कहते हैं ।
२ न्यग्रोध संस्थान - जिस कर्म के उदय से न्यग्रोधं (वंट) के सदृश ऊपर का भाग मात्र सुंदर हो उसको न्यग्रोध संस्थान नाम कर्म कहते हैं.
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