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रुक्खं ॥ सीयं च असुह नवगं, इक्कारसगं सुभं सेसं ॥ ४२ ॥ :
वर्ण, गंध, रस और स्पर्श की २० प्रकृतियों में ६ अशुभ कौनसी और ११ शुभ कौनसी होती हैं सो बतलाते हैं.
५ वर्णों में नीला और काला अशुभ होते हैं शेष रक्त पीला सुफेद वर्ण शुभ होते हैं.'
२ गंध में दुर्गंधि अशुभ और सुगंधि शुभ होती. · ५ रसों में कटु और तिक्त (चरका ) अशुभ होते हैं शेष कपायल, आम्ल और मृदु शुभ होते हैं.
८ स्पर्शो में गुरु, बरसठ, और शीत ये चारों अशुभ होते हैं और शेष लघु, मृदु, उष्ण और स्निग्ध शुभ होते हैं.
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उपरोक्त लोक व्यवहार से बतलाया गया हैं किन्तु तीर्थकर भगवान के जो श्याम रंग हो वह भी शुभ समझा जाता इस ही प्रकार पुण्यवान पुरुषों के लिये प्रायः सर्व प्रकृतियों में हो सकता है.
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चउह गइव्व णुपुव्वी गइ पुब्बिदुगं तिगं निचाउजुत्रं ॥ पुव्वी उदओ वक्के, सुह असुह वसुट्ट विहग गइ ॥ ४३ ॥