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में उत्पन्न होता है उसको मनुष्यगति नाम कर्म कहते हैं.' ..... ४ देव-जिस कर्म के उदय से जीव देव जीवयोनि में उत्पन्न होता है उसको देवगति, नाम कर्म कहते हैं. : " . . . . जाति नाम कर्म के ५ भेद।
. १ एकेंद्रिय-जिस कर्म के उदय से जीव एकेंद्रिय योनि में उत्पन्न होता है और उसको केवल १ इंद्रिय ही प्राप्त होती है उसको एकेंद्रिय जाति नाम कर्म कहते हैं।... . . २.३द्रिय-जिंस - कर्म के उदय से जीव वेंद्रिय योनि में उत्पन्न होता है और उसको केवल २ ही इंद्रिय प्राप्त होती है उसको वेंद्रिय जाति नाम कर्म कहते हैं। ...
३त्रींद्रिय-जिस कर्म के उदय से जीव त्रींद्रिय योनि में उत्पन्न होता है और उसको केवल.३.ही इंद्रिय प्राप्त होती है उसको त्रींद्रिय जाति नाम कर्म कहते हैं। . .. . : ... .....४ चौरींद्रिय-जिस कर्म के उदय से जीव चौंरीद्रिय योनि में उत्पन्न होता है और उसको केवलाही इन्द्रिय प्राप्त होती है उसको चौंरींद्रिय जाति नाम कर्म कहते हैं । ... .......
५. पंचेंद्रिय-जिस कर्म के उदय से जीव पंचेंद्रिय जीव योनि में उत्पन्न होता है और उसकों.५ इन्द्रियें प्राप्त होती है उसको पंचेंद्रिय जाति नाम कर्म कहते हैं।