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(६७) . . . ४ तेजस-जिस कर्म के उदय से जीव को ऐसा. शरीर प्राप्त हो जिससे आहारादि पाचन क्रिया हो और जिससे तेजोलेश्या.की उत्पत्ति भी होती हो उसको तेजसःशरीनाम कर्म कहते हैं तेजस शरीर सूक्ष्म रूप में होता है और ...कर्म धारी सर्व जीवों के साथ होता है। : ... ... ... ... . : . ५ कार्मण-जिस कर्म के उदय से जीव को ऐसा :शरीर मिले जिससे कर्म प्रदेशों का समूह जीव प्रदेश के साथ क्षीर नीर के समान मिले उसको कार्मण. शरीर नाम कर्म करते हैं कार्मण शरीर सूक्ष्मरूप में होता है और प्रत्येक कर्म धारी जीव के साथ होता है कर्म ..परमाणु से उत्पन्न होने के कारण भी इसको कार्मण कहते हैं...... .......::.;
इस प्रकार कम से कम ३. और विग्रहगति में दो शरीर तो प्रत्येक कर्मधारी जीव के साथ होते हैं। विशेष वर्णनः संग्रहणी सूत्र से जान लेना चाहिये. :::, . . :: .. : , बाहूरुपिटि: सिर, उर, उअरंग उवंग अंगु
ली. पमुहा। सेसा अंगोवंगा, पढम तणुःति गस्सु वंगाणि ॥ ३४॥ .::.::
- उपांग नाम कर्म के ३ भेदः औदारिक, वैक्रिय और आहारक इन ३ शरीरों में पाठ