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(६८) अंग और उपांग होते हैं अतएव ३ शरीरों की अपेक्षा से ३ प्रकृति अंग उपांग की होती है. .. १ औदारिक शरीर अंगोपांग.२ वैक्रिय शरीर अंगोपांग. - ३.नाहारक शरीर अंगोपांग.
तेजस और कार्माण शरीरों में अंग उपांग आदि नहीं होते हैं.
२ भुजा २ जंघा १ पीठ १ छाती १ मस्तक और १ पेट ये आठ अंग कहे जाते हैं,
_अंगुली आदि को उपांग कहते हैं और हस्त आदि की. रेखाओं को अंगोपांग कहते हैं. - जिस कर्म के उदय से जीव को शरीर के साथ अंग उपांग आदि प्राप्त होते हैं उसको उपांग नाम कर्म कहते हैं. . ऊपर बतलाये अनुसार उपांग नाम कर्म ३ प्रकार के होते हैं. ,,१ औदारिक उपांग नाम, कर्म २ वैक्रिय उपांग नाम कर्म ३ आहारक उपांग नाम कर्म । ।
ओरलाइ पुग्गलाणं, निवद्ध वज्झ तयाण , संबंध, जं.कुणइ जउ समं लं, बंधण मुरलाइ तणु नामा ॥ ३५॥ ...
____बंधन नाम कर्म के ५ भेदः पूर्व संचित और नवीन संचित कर्मों का औदारिक शरीरों