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( ५६) आवश्यकतानुसार,आगे.भी अन्य कई संज्ञाएं इसी ही प्रकार बनी हुई मिलेगी जिन से बुद्धि से विचार समझ लेना चाहिये जैसे थीनद्धी त्रिक अर्थात् पांच प्रकार की निंद्रा में से थीनद्धी, प्रचला प्रचला और निद्रा निद्रा इन तीनों प्रकार की निंद्रा मिलाकर थीनद्धी त्रिक कहा जाता है। ... ..गइ श्राईण उक्कमसो, चउपण पणति पण पंच छ छक्कं । पणं दुग पण चउद्ग इन उत्तर भेद पणसट्ठी ॥३०॥ ....
१४ पिंड़ प्रकृतियों के ६५ उत्तर भेद ..१ गति-जिस कर्म के उदय से जीव ४. गतियों में गमन करता है : उसको गति नाम : कर्म कहते हैं: चारों गतियों की अपेक्षा से उसके ४ ही भेद होते हैं. .. ... ..
.२ जाति-जिस कर्म के : उदय से इन्द्रिय वाले जीवों से लेकर ५. इन्द्रिय वाले जीवों की योनियों में जीव को जन्म मरण करना पड़ता है. उसको जाति नाम कर्म कहते हैं। पांचों इन्द्रियों की अपेक्षा से जाति नाम कर्म भी ५ प्रकार के होते हैं.
३.शरीर--जिस कर्म के उदय से औदारिक: आदि. ५ प्रकार के शरीर में जीव को जन्म लेना पड़ता है उसको शरीर
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