________________
(६१) है वर्ण-जिस कर्म के उदय से जीव के शरीर का रंग ५ प्रकार का होता है उसका वर्ण नाम कर्म भी कहते हैं ५ प्रकार के वर्ण की अपेक्षा से वर्ण नाम कर्म के भी, ५ भेद होते हैं। . . . . . . . .. १०.गंध-जिस कर्म के उदय से जीव के शरीर से संगंधी दुर्गन्धि उत्पन्न होता है उसको गंध नाम कर्म कहते हैं २ प्रकार की गंध की अपेक्षा से गंध नाम कर्म के भी २ भेद होते हैं ।
११ रस-जिस कर्म के उदय से जीव के शरीर में रस उत्पन्न होता है उसको रस नाम कर्म कहते हैं ५ प्रकार के रस की अपेक्षा से रस नाम कर्म के ५ भेद होते हैं। . . १२ स्पर्श-जिस कर्म के उदय से जीवें के शरीर को शीत उष्ण आदि स्पर्श होता है उसको स्पर्श नाम कर्म कहते हैं
आठ प्रकार के स्पर्श की अपेक्षा से स्पर्श कर्म के भी ८ भेद - होते हैं।
' १४ अनुपूर्वी--जिस कर्म के उदय से बेल की तरह जीव योग्य गति में पहुंचाती है उसको अनुपूर्वी नाम कर्म कहते हैं. ५ गति की ४ अनुपूर्वी की अपेक्षा से अनुपूर्वी कर्म के भी ४. भेद होते हैं। ...१४ विहायो गति जिस कर्म के उदय से जीव की शुभा शुभ चाल हो उसको विहायो गति नाम कर्म कहते हैं. २ प्रकार
E