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(५१) से भय उत्पन्न होता है उसको भय मोहनीय कहते हैं इसके ७ भेद हैं:
(१) इहलोक भय अर्थात् बलवानों और दुष्टों को देख कर इसलोक में डरना: . "
(२) परलोक भय अर्थात् भूत प्रेतादि से वा. नरक गति से डरना । .. . (३) आदान भय-अर्थात् चोर, लुटेरों से डरना। . (४:) अकस्मात् भय-विजली अग्नि आदि अकस्मात
... (५':) आजीविका भय-जीवन निर्वाह में विघ्नदि का भय, , (६) मरण भय-मृत्यु होने का डर ।. . . . . . . : . (७.) अपयशः भय-बदनामी होने का डर । ..
६ जंगुप्सा मोहनीय--जिसके उदय से मल मूत्रादि से 'घृणा उत्पन्न होने ले मुंह टेवा करते हैं उसको जुगुप्सा मोह.नीय कहते हैं.। . :::: . ... . . . • . . . . . . . . ७-६ तीन वेद . . :: : : : पुरिसित्थि तदुभयं पइ अहिलासोजव्वसा हवइसोउ-थी. नर नपुवेनो दो, फुफुम तण नगर दाहसमो ॥२२॥