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४. कर्मवाद का तिरोभाव-आविर्भाव : क्यों और कब ? - ५. कर्मवाद के समुत्थान की ऐतिहासिक समीक्षा . ६. कर्मशास्त्रों द्वारा कर्मवाद का अध्यात्ममूलक
सर्वक्षेत्रीय विकास ७. कर्मवाद पर प्रहार और परिहार ८. कर्मवाद के अस्तित्त्व-विरोधी वाद-१ ९. कर्मवाद के अस्तित्त्व-विरोधी वाद-२ १०. पंचकारणवादों की समीक्षा और समन्वय
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| कर्म का विराट् स्वरूप |
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तृतीय खण्ड १. कर्म-शब्द के विभिन्न अर्थ एवं रूप २. कर्म के दो रूप : द्रव्यकर्म और भावकर्म ३. कर्म : संस्काररूप भी पुद्गलरूप भी ४. कर्म का परतंत्रीकारक स्वरूप ५. क्या कर्म महाशक्तिरूप है ? ६. कर्म मूर्तरूप या अमूर्त आत्मगुणरूप? . ७. कर्म का प्रक्रियात्मक स्वरूप ८. कर्म और नोकर्म : लक्षण, कार्य और अन्तर ९. कर्मों के कर्म, विकर्म और अकर्म रूप १०. कर्म का शुभ और अशुभ रूप ११. सकाम और निष्काम कर्म : एक विश्लेषण १२. कर्मों के दो कुल : घातिकुल और अघातिकुल १३. कर्म के कालकृत त्रिविध रूप १४. कर्म का सर्वांगीण स्वरूप
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