Book Title: Jindutta Charit
Author(s): Gunbhadrasuri, Tonkwala, Mahendrakumar Shastri
Publisher: Digambar Jain Vijaya Granth Prakashan Samiti
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के दानवीरों ने प्रार्थिक सहयोग कर शास्त्रदान का प्रक्षय लाभ की प्राप्ति की है, समिति की ओर से उन महानुभावों का धन्यवाद करता हूँ।
__ ग्रन्थ की विषय सामग्री विशेषकर संस्कृत श्लोक मेरे अल्प ज्ञान से अत्यधिक ऊँची है, फिर भी मैने गुरुषों के आशीर्वाद से यह बाल प्रयास किया है, अत: साधुगरण, विद्वजन व पाठकगणों से निवेदन है कि वे त्रुटियों के लिए क्षमा करते हुए उन्हें शुद्ध कर अध्ययन करने का कष्ट करें तथा अपने अमूल्य सुझावों से ग्रन्थ अनुवादिका परम पूज्य माताजी को अवगत करावें ताकि प्रागामी ग्रन्थों में और भी अधिक सुधार मा सके।
पुस्तक प्रकाशन में समिति के सभी कार्यकर्तामों विशेषकर श्री नाथूलाल जी, श्री सुभाषचन्द बसल, श्री हनुमानसहाय शमां का आभारी हूँ जिन्होंने प्रकाशन कार्य को रुचि लेकर सम्पन्न कराया है।
ग्रन्थ में प्रकाशित सभी चित्र एवं मुख पृष्ठ कथा पर आधारित काल्पनिक हैं, यदि कोई विसंगति पाठकों के ध्यान में आये, उससे प्रकाशन समिति को अवगत करायें।
ग्रन्थ की छपाई के लिए कुशल प्रिन्टर्स, जयपुर के संचालकों तथा विशेषकर कम्पोजीटर श्री माधोबिहारीलाल गोस्वामी को धन्यवाद देता हूँ जिनके प्रयत्नों से पुस्तक की छपाई सुन्दर हुई है।
पुनः लोक के समस्त प्राचार्य, गुरुषों एवं पूज्य माताजी के चरणाविन्दों में त्रिबार नमोऽस्तु ३ कर पाशीर्वाद की आकांक्षा लिये हए ।
गुरुभक्त महेन्द्र कुमार जैन "बडजात्या"
सम्पादक
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