Book Title: Jayoday Mahakavya Ka Shaili Vaigyanik Anushilan
Author(s): Aradhana Jain
Publisher: Gyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
View full book text
________________
11. ऋषभ चरित जैन दर्शन के अनुसार इस युग में आद्य तीर्थंकर ऋषभदेव के जीवनवृत्त के आधार पर यह काव्य लिखा है । भगवान आदिनाथ के अतीत एवं वर्तमान भवों का वर्णन इस काव्य में समाविष्ट है । जिनसेनाचार्य द्वारा रचित महापुराण के सारभूत विषयों को पद्य रूप में इस काव्य में 814 पद है । यह काव्य भी | महाकवि ज्ञानसागर महाराज ने दीक्षा के पूर्व लिखा था, उस समय आपका नाम | ब्रह्मचारी पंडित भूरामल शास्त्री था ।
12. गुण सुन्दर वृत्तान्त इस काव्य में शिक्षाप्रद अनेक लघु कथाएँ काव्य रूप में समाविष्ट की गई | हैं, जैसे प्रद्युम्न कुमार का जीवन चरित्र, यशोधर की रोमांटिक कथा, सतन कुमार चक्रवर्ती के रूप में अहंकार का दुष्परिणाम तथा द्वारिका के भस्म होने का हृदयविदारक वर्णन इस काव्य में किया है । कथाओं के प्रस्तुतीकरण के मध्य वर्तमान की ज्वलन्त समस्याओं के निराकरण के लिए शिक्षाप्रद पद्य भी प्रस्तुत किये गये हैं । इस काव्य को 595 पदों में लिखा गया है । यह काव्य भी महाकवि आचार्य ज्ञानसागर महाराज ने दीक्षा के पूर्व लिखा था, उस समय आपका नाम ब्रह्मचारी पंडित भूरामल शास्त्री था ।
13. पवित्र मानव जीवन . इस काव्य में गृहस्थ को आजीविका किस प्रकार करना चाहिए इसका वर्णन किया गया है जैसे कृषि करना, पशुपालन, पारिवारिक व्यवस्था, समाज-सुधार स्त्री का पारिवारिक दायित्व आदि प्रमुख पारिवारिक एवं सामाजिक समस्याओं का निदान इस काव्य में किया गया है । यदि गृहस्थ इस काव्य के अनुसार अपने को व्यवस्थित कर ले तो कीचड़ में भी कमल खिल सकता है । गृहस्थी रूपी कीचड़ में भी व्यक्ति काव्य कथित सिद्धान्तों को अपनाकर अपने जीवन को स्वर्णमय बना सकता है । इस काव्य में 193 पद हैं । यह काव्य आचार्य ज्ञान सागर जी महाराज ने क्षुल्लक अवस्था में लिखा था । उस समय आपका नाम क्षु. ज्ञान भूषण जी महाराज
था।
14. कर्त्तव्य पथ प्रदर्शन इस ग्रन्थ में सम्प्रदाय निरपेक्ष जीवन को शिक्षा देने वाली तर्कयुक्त कथायें | दी गई है । शिक्षाप्रद विषय वस्तु को प्रस्तुत करने के लिए लेखक ने छोटी छोटी