Book Title: Jayoday Mahakavya Ka Shaili Vaigyanik Anushilan
Author(s): Aradhana Jain
Publisher: Gyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
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जयोदय महाकाव्य का शैलीवैज्ञानिक अनुशीलन अन्य स्थानों पर जाल डालता है, हर बार वही चिह्नित मछली जाल में आती है और अपनी प्रतिज्ञानुसार वह उसे जीवित छोड़ता रहता है। शाम होने पर निराश होकर वह खाली हाथ घर आ जाता है ।
प्रतीक्षारत धीवरी अपने पति को खाली हाथ आया देखकर कारण पूँछती है । वह मुनिराज के समक्ष ली गयी प्रतिज्ञा से उसे अवगत कराता है । धीवरी प्रतिज्ञा को अनुचित बतलाती है । पर वह अपने नियम पर दृढ़ रहता है । तब क्रोधावेश में आकर घण्टा अपने पति को घर से बाहर निकाल देती है ।
अपमानित मृगसेन निर्जन धर्मशाला में जाकर संसार की क्षणभंगुरता के विषय में हुए लेट जाता है । तभी वहाँ आये एक सर्प के डसने से उसकी मृत्यु हो जाती है। वह श्रीदत्त सार्थवाह का पुत्र सोमदत्त बनता है ।
विचारते
क्रोध शान्त होने पर धीवरी पति को खोजती हुई उसी धर्मशाला में पहुँचती है। वहाँ पति को मृत देख वह अहिंसा व्रत के पालन का निश्चय करती । इसी समय वही सर्प पुनः आ कर उसे काट लेता है । धीवरी गुणपाल के यहाँ पुत्री विषा के रूप में जन्म लेती है ।
सेठ मुनिद्वय की कथा वार्ता सुनकर आश्चर्यचकित हो जाता है और सोमदत्त को मारने का निश्चय करता है । वह चाण्डाल को प्रलोभन देकर सोमदत्त को मारने का आदेश देता है । निरपराध बालक को देखकर वह उसे मारता नहीं है वरन् गाँव के बाहर नदी के तट पर स्थित एक वृक्ष के नीचे रख कर वापिस आ जाता है ।
दूसरे दिन गेविन्द ग्वाले को वृक्ष के नीचे वह बालक मिलता है । गोविन्द ग्वाला एवं उसकी पत्नी धनश्री उसका लालन-पालन करते हैं। सोमदत्त क्रमशः युवा. हो जाता है। एक दिन गुणपाल राजकार्य से ग्वालों की बस्ती में आता है । वहाँ सोमदत्त को देखकर पहचान जाता है । अब वह पुनः उसे मारने का षड्यन्त्र रचता है । षड्यन्त्र के अनुसार वह गोविन्द से कहता है - तुम सोमदत्त द्वारा यह पत्र मेरे घर भिजवा दो । गोविन्द की स्वीकृति पर सोमदत्त पत्र गले के हार में बाँध कर उज्जयिनी आता है । वह नगर के समीप उद्यान में कुछ समय ठहर कर विश्राम करता है । वहीं पुष्प चयन करने आयी वसन्तसेना वैश्या सोमदत्त के गले में बँधा पत्र देखती है और उत्सुकतावश वह पत्र खोलकर पढ़ती है। वह नोमदत्त के सौन्दर्य से प्रभावित हो विचारती है गुणपाल जैसा सज्जन ऐसा कुकृत्य नहीं कर सकता । अवश्य ही उससे लिखने में भूल हुई है। उसने विष नहीं, अपनी पुत्री विषा