Book Title: Jayoday Mahakavya Ka Shaili Vaigyanik Anushilan
Author(s): Aradhana Jain
Publisher: Gyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar

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Page 289
________________ जयोदय महाकाव्य का शैलीवैज्ञानिक अनुशीलन २३१ ५१. शृंगार शतकः भर्तृहरि, चौखम्बा विद्याभवन, वाराणसी-१, सन् १९७९ • ५२. श्रीमद् भागवत : ५३. शैली और शैलीविज्ञान : वि० कृष्णस्वामी अयंगार ५४. सरल जैन विवाह विधि :ब्रह्म. भूरामल शास्त्री, दि० जैन समाज, हिसार, प्रथम संस्करण, सन् १९४७ ५५. सम्यक्त्वसार शतक : क्षुल्लक श्री ज्ञानभूषण जी, दि० जैन समाज, हिसार, वि० संवत् २०१२ . ५६. सचित्त विवेचन : ब्रह्म. भूरामल शास्त्री, जैन समाज, हाँसी, प्रथम संस्करण, . सन् १९४६ ५७. समयसार टीका : मुनि श्री ज्ञानसागर , दि० जैन समाज, अजमेर, प्रथम संस्करण, सन् १९६८ ५८. साहित्य दर्पण : विश्वनाथ, चौखम्बा विद्याभवन, वाराणसी, प्रथम संस्करण सन् १९६९ ५९. साहित्य दर्पण : हिन्दी विमर्श व्याख्या, डॉ० सत्यव्रत सिंह, चौखम्बा विद्याभवन, चौक, वाराणसी - १ ६०. सुदर्शनोदय : मुनि श्री ज्ञानसागर, मुनि श्री ज्ञानसागर जैन ग्रन्थमाला, व्यावर, नवम्बर, १९६६ सौन्दरनन्द : अश्वघोष, चौखम्बा संस्कृत पुस्तकालय, कचौड़ी गली, वाराणसी ६२. स्वामी कुन्दकुन्द और सनातन जैन धर्म : ब्रह्म. भूरामल शास्त्री, खजान सिंह विमलप्रसाद जैन, मुजफ्फरनगर, सन् १९४२ . ६३. हिन्दी सेमेटिक्स : हरदेव बाहरी, भारती प्रेस पब्लीकेशन, इलाहाबाद, सन् १९५९ ६४. Poetic Image : C. D. Lewis. Poetic Pattern : Rabin Skeltion. ६६. Critique of Poetry : Michael Roberts. m ६१.

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