Book Title: Jayant Balbhadra Desh ka Rajkumar
Author(s): Ganpati Krushna Gurjar
Publisher: Granth Prakashak Samiti

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Page 13
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कहाँतक युक्तिसंगत होगा, तथा राजाके उन शब्दोंसे जयन्तके (हेम्लेट)मनमें क्या भाव उत्पन्न हुआ और उसे साधारण बोलचाल में प्रकट करनेके लिये किन शब्दोंको नियुक्त करना उपयुक्त है इन बातोंपर विचार करनेसे उक्त अनुवाद ही ठीक प्रतीत होता है। परंतु ऐसे स्थान बहुत ही कम हैं जहां शब्दार्थसे इतनी दूर जाना पड़ा हो; और ऐसे स्थानों में उक्त दृष्टान्त ही टीकाकारकी दृष्टि में खटकनेकी विशेष संभावना जान उसका. यहां उल्लेख कर दिया है। हैम्लेटकी अंग्रेजी भाषामें कितना जोर है इसका पता जिन लोगोंको अंग्रेजोसे परिचय नहीं उन्हें अंग्रेजों के स्वभाव, उनकी शूरता, उद्योगप्रियता, स्वाभिमान और स्वातंत्र्यवृत्तिसे लग सकता है । भाषा उसी मालिकी ओजस्विनी होगी जिस जातिमें कुछ पराक्रम हो । अभी हम लोग अपनी अवस्था देख ही रहे हैं ! शेक्सपियरको उप्त भाषाको ओजस्विता यद्यपि हिन्दी. अनुवादमें उतने प्रखररूपसे प्रकाशमान नहीं होती लौभी शेक्सपियरके भाव लोगोंकी बोलचालको भाषामें भी अपनी झलक दिखाये बिना नहीं रह सकते । भाषा हिन्दी-सरल हिन्दी-सबके समझने योग्य लिखी गई है और इस चेष्टामें हमसे कई मित्र रुष्ट भी हो गये; क्योंकि ' उर्दू ' शब्दोंका हिन्दी नाटकमें प्रयोग करना उन्हें खटकता है । परंतु म ' उर्दू ' का बहिष्कार करना अनुचित समझते हैं । इसके दो प्रधान कारण हैं: (१) हिन्दी भारतवर्षकी सात्रिक ( National ) भाषा है ; और (२) जो शब्द हम रोज व्यवहारमें लाते हैं वे चाहे किसी भाषाके हों उन्हें हम अपने समझते हैं और ऐसे ही प्रचलित विदेशी शब्दोंसे हिन्दी कोष बढ़ाना हमारा कर्त्तव्य है ; परन्तु उर्दू शब्द विदेशी नहीं हैं-प्रायः संस्कृतके रुपान्तर मात्र हैं | हिन्दी यदि For Private And Personal Use Only

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