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श्रु०२, अ०७, उ०१ सू० १५८ ५१
आचारांग-सूची शौच स्थान में जाते समय सारे पात्र साथ ले जाने का विधान वर्षा, धुंअर व रजघात के समय ख-ग-ध में निर्दिष्ट स्थानों में सारे पात्र ले जाने का निषेध
सूत्र संख्या ३
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सप्तम अवग्रह प्रतिमा अध्ययन प्रथम उद्देशक अदत्तादान लेने का सर्वथा निषेध साथी मुनियों के छत्र आदि भी आज्ञापूर्वक लेने का विधान धर्मशाला आदि में ठहरने के लिये जितने काल की आज्ञा ले उतने काल तक ठहरना स्वयं के लाये हुए आहार के लिए स्वधर्मी श्रमण को निमंत्रण दे, दूसरे के लाये हुए आहार के लिए निमंत्रण न दे स्वयं के लाये हुए पीढा आदि के लिए स्वधर्मी श्रमणको निमंत्रण देना, दूसरे के लाये हुए के लिए निमंत्रण न देना सुई, कैंची आदि के प्रत्यपर्ण की विधि सजीव भूमि की आज्ञा न लेना स्तूप आदि की आज्ञा न लेना भीत पर बने स्थानादि की आज्ञा न लेना ऊंचे बने स्थानादि की आज्ञा न लेना गृहस्थादि जहाँ रहते हो ऐसे उपाश्रय की आज्ञा न लेना गृहस्थ के घर में होकर उपाश्रय में जाने का मार्ग हो ऐसे उपाश्रय की आज्ञा न लेना
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