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आचारांग सूची
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श्रु ०२ अ०६ उ० १ सू० १५४
एक स्वधर्मनी के उद्देश्य से बनाया या बनवाया पात्र लेने का निषेध
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अनेक स्वधर्मनियों के उद्देश्य से बनाया या बनवाया पात्र लेने का निषेध
श्रमणों को गिनकर बनाये या बनवाये पात्र लेने का निषेध
श्रमण समूह के लिए बनाया या बनवाया पात्र लेने का निषेध
बहुमूल्य पात्र लेने का निषेध
बहुमूल्य बंधनों से बंधे हुए पात्र लेने का निषेध
चार पात्र पड़िमा
प्रथम पड़िमा -- तीन प्रकार के पात्रों में से किसी एक प्रकार के पात्र का संकल्प करके लेना, स्वयं याचना करे या बिना याचना के मिले तो ग्रहण करना द्वितीय पड़िमा — देखने के पश्चात् उपयुक्त पात्र लेना तृतीय पड़िमा फेंकने योग्य पात्र लेना
चतुर्थ पड़िमा - परि भुक्त पात्र लेना पsिमाधारी की निन्दा का निषेध
पात्र याचना विधि
पात्र का प्रमार्जन करके भिक्षार्थ जाने का विधान सचित्त शीतल जल दूसरे पात्र में लेकर खाली किया हुआ पात्र दे तो लेने का निषेध
भिक्षार्थ जाते समय सारे पात्र साथ ले जाने का विधान स्वाध्याय स्थान में जाते समय सारे पात्र साथ ले जाने का विधान
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