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श्र०२, अ०६, उ०१ सू०१५२ ४६
आचारांग-सूची भिक्षा के समय सारे वस्त्र साथ में लेजाने का विधान स्वाध्याय स्थान में जाते , , , , शौच-स्थल में जाते
" " " वर्षा धुंअर रजघात हो तो ग-घ-ङ में निर्दिष्ट समयों में सारे वस्त्र साथ लेजाने का निषेध किसी श्रमण से अल्पकाल के लिए याचित वस्त्र के प्रत्यर्पण की विधि मायापूर्वक अल्पकाल के लिए वस्त्र याचना का निषेध शोभनीय वस्त्र को अशोभनीय और अशोभनीय वस्त्र को शोभनीय बनाने का निषेध अन्य वस्त्र के प्रलोभन से स्वकीय वस्त्र का विनिमय आदि न करे अन्य वस्त्र के प्रलोभन से दृढ़ वस्त्र को फाड़कर न फेंके वस्त्र छीनने वाले चोर के भय से उन्मार्ग गमन का निषेध अटवी में , "
" , चोरों का उपद्रव होनेपर समभाव रखने का उपदेश सूत्र संख्या ३
षष्ठ पात्रैषणा अध्ययन
प्रथम उद्देशक १५२
तीन प्रकार के पात्र निग्रंथ के लिए एक पात्र का विधान पात्र के लिए आधे योजन से आगे जाने का निषेध एक स्वधर्मी के उद्देश्यसे बनाया या बनवाया पात्र लेने का निषेध अनेक स्वर्मियों के उद्देश्य से बनाया या बनवाया पात्र लेने का निषेध
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